
पटना | 23 जून 2025: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने अवैध हथियारों और गोलियों की आपूर्ति पर रोक लगाने के लिए कठोर कदम उठाए हैं। हथियारों के बेजा इस्तेमाल, हर्ष फायरिंग, और ब्लैक मार्केट में कारतूसों की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए एक सख्त फ्रेम तैयार किया गया है।
अब राज्य में सभी लाइसेंसधारियों को हर साल अधिकतम 50 गोलियां ही दी जाएंगी, जबकि पूर्व में यह सीमा 200 राउंड तक थी। इसके अलावा, हथियार का दुरुपयोग करने वाले व्यक्तियों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
मुख्य निर्णय बिंदु:
- लाइसेंसधारियों को अब प्रति वर्ष अधिकतम 50 गोलियां ही मिलेंगी
- हर्ष फायरिंग, आपराधिक प्रवृत्ति, सोशल मीडिया पर अवैध प्रदर्शन वालों के लाइसेंस रद्द होंगे
- आयुध नियम, 2016 में संशोधन का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया
- सभी हथियारों और गोलियों की जानकारी NDAL-ALIS पोर्टल पर अपलोड अनिवार्य
- लाइसेंस लेने से पहले खाली खोखा जमा करना और उपयोगिता प्रमाण देना होगा
डीजीपी के दिशा-निर्देश पर सख्ती, यूपी मॉडल से ली गई प्रेरणा
डीजीपी विनय कुमार के निर्देश पर एडीजी (एसटीएफ) कुंदन कृष्ण द्वारा गृह विभाग को विस्तृत प्रस्ताव भेजा गया है। इस पहल में उत्तर प्रदेश मॉडल को अपनाने की बात कही गई है, जिसमें गोली खरीद की पारदर्शी प्रक्रिया, वेरिफिकेशन और उपयोगिता प्रमाणपत्र को अनिवार्य बनाया गया है।
गोलियों की आपूर्ति चेन को ध्वस्त करने की योजना
राज्य में हर साल औसतन 17,000 अवैध गोलियों और 3,600 हथियारों की जब्ती होती है। जांच में यह सामने आया है कि लाइसेंसी दुकानों से उठी गोलियां अक्सर ब्लैक मार्केट और अपराधियों तक पहुंच रही हैं।
अब सभी लाइसेंसी दुकानों और कारखानों को अपनी खरीद-बिक्री का स्टॉक पंजी जिला एसपी या स्थानीय थाना को अनिवार्य रूप से सौंपना होगा ताकि उसका भौतिक सत्यापन किया जा सके।
जिला स्तरीय स्थायी समिति करेगी समीक्षा
प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्थायी समिति गठित की गई है जो हर तीन महीने पर लाइसेंसधारियों, दुकानों, और नवीकरण की समुचित समीक्षा करेगी। इसके अतिरिक्त, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक समीक्षा गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय स्तर पर होगी।
अब तक पाई गई प्रमुख खामियां:
- NDAL पोर्टल पर सभी लाइसेंस और दुकानों की इंट्री अधूरी
- उपयोग से पहले खोखा और कारण देने की प्रक्रिया का अभाव
- गोली वितरण के समय उचित वेरिफिकेशन नहीं
- दुकानों और कारखानों का कोई नियमित ऑडिट नहीं
- अन्य राज्यों (जैसे नागालैंड, जम्मू-कश्मीर) से जारी हथियारों की समुचित जानकारी का अभाव
इस सख्ती की जरूरत क्यों?
NCRB के आंकड़ों के अनुसार, बिहार देश के शीर्ष पांच हिंसक अपराध दर वाले राज्यों में शामिल है। राज्य सरकार का मानना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार के विधि-व्यवस्था भंग की संभावना को समाप्त करने के लिए यह पूर्व-एहतियाती कार्रवाई जरूरी है।
“हथियार अब सुरक्षा के लिए हैं, शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं।”
– राज्य गृह विभाग, बिहार