इस महाकुंभ में देशी ही नहीं, विदेशियों पर भी सनातन का रंग खूब चढ़ रहा है. इसका नजारा महाकुंभ का श्रृंगार कहे जाने वाले 13 अखाड़ों में देखने को मिल रहा है. यहां मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले अखाड़ों में नागा संन्यासी बनने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसी क्रम में रविवार को सौ से अधिक महिला नागा साधुओं ने श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में नागा संस्कार की दीक्षा ली. इनमें फ्रांस, नेपाल और इटली की महिला नागा साधु भी शामिल हैं.
संन्यासिनी श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की महिला संत दिव्या गिरी के मुताबिक 100 से अधिक महिलाओं की संन्यास दीक्षा दी गई है. इससे पहले ये सभी महिलाएं 12 साल तक अपने शाखा गुरु के साथ सेवा, समर्पण और त्याग की परीक्षा दे रही थीं. इसके बाद इन्हें अवधूतानी का दर्जा मिला था. अब ये सभी गंगा के तट पर समूह में पहुंची, जहां उन्हें सूत का बिना सिला पौने तीन मीटर का वस्त्र पहनाकर उनका मुंडन संस्कार किया गया. फिर गंगा स्नान के बाद इनके हाथ में कमंडल, गंगा जल और एक दंड देकर बाकी विधियां पूरी की गई.
तीनों विदेशी महिला संन्यासियों को मिला नया नाम
आखिर में इन्हें अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी अंतिम दीक्षा देंगे. उन्होंने बताया कि इन संन्यासियों में इटली से आई बांकिया मरियम ने नागा दीक्षा ली हैं. उन्हें सनातन धर्म में नया नाम शिवानी भारती दिया गया है. इसी तरह फ्रांस की बेकवेन मैरी को कामख्या गिरी तथा नेपाल की मोक्षिता राय को नागा दीक्षा दिया गया है. बता दें कि प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ में मातृ शक्ति का अखाड़ों के प्रति खूब रुझान देखने को मिल रहा है.
अन्य अखाड़ों में भी चल रहा दीक्षा कार्यक्रम
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की ही तर्ज पर अन्य सभी 13 अखाड़ों में नागा साधुओं के दीक्षा कार्यक्रम शुरू हो गया है. इसके लिए निर्धारित समय तक अपने गुरू के निर्देशन में तपस्या और अध्ययन करने वाले संन्यासियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. हाल ही में निरंजनी अखाड़े में हजारों की संख्या में नागा संन्यासियों का दीक्षा कार्यक्रम में संपन्न हुआ था. इनमें महिला नागा साधु भी शामिल हैं.
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