
पटना, 26 जून — बिहार सरकार राज्य के मत्स्य कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने और मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सतत प्रयासरत है। इसी क्रम में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अंतर्गत मत्स्य निदेशालय द्वारा संचालित ‘भ्रमण दर्शन कार्यक्रम’ राज्य के मत्स्य पालकों को आधुनिक तकनीकों से रूबरू कराने में एक अहम भूमिका निभा रहा है।
भ्रमण दर्शन योजना: उद्देश्य और क्रियान्वयन
इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य कृषकों को देश-प्रदेश में विकसित हो रही नवीनतम मात्स्यिकी तकनीकों से परिचित कराना है, ताकि वे अपने संसाधनों में इन तकनीकों को अपनाकर लाभप्रद मत्स्य पालन कर सकें।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान इस योजना के तहत 294 बैचों में कुल 5,880 मत्स्य कृषकों को एक दिवसीय भ्रमण पर ले जाया जाएगा। प्रत्येक बैच में 20 मत्स्य कृषक शामिल होंगे।
नामांकन प्रक्रिया और पात्रता
इस योजना में भाग लेने के लिए प्रत्येक कृषक को ₹100 का नामांकन शुल्क अपने जिला मत्स्य कार्यालय में जमा करना होता है।
योजना का लाभ किन्हें मिलेगा:
- निजी, पट्टा या सरकारी जलाशयों में मत्स्य पालन करने वाले कृषक
- विभागीय योजनाओं के अंतर्गत आवेदनकर्ता
- प्रखंड स्तरीय मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सक्रिय सदस्य
- विभागीय प्रशिक्षण प्राप्त प्रगतिशील मत्स्य कृषक
- ऐसे इच्छुक कृषक जिनके पास मत्स्य पालन हेतु समुचित संसाधन मौजूद हैं
तकनीकी नवाचार से भविष्य की ओर
यह योजना सिर्फ भ्रमण नहीं, बल्कि एक शिक्षा और प्रेरणा का माध्यम है। मत्स्य कृषकों को उन्नत प्रक्षेत्रों में जाकर जलीय कृषि, मत्स्य बीज उत्पादन, फीडिंग तकनीक, जल प्रबंधन और हाइब्रिड नस्लों के पालन से जुड़ी व्यावहारिक जानकारियां प्राप्त होती हैं।
राज्य को अग्रणी बनाने की दिशा में पहल
‘भ्रमण दर्शन कार्यक्रम’ के माध्यम से बिहार सरकार का उद्देश्य राज्य को मत्स्य पालन के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करना है। इस पहल से न केवल राज्य का मत्स्य उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि कृषकों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
अधिक जानकारी के लिए कहां संपर्क करें?
इच्छुक मत्स्य कृषक योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए राज्य की आधिकारिक वेबसाइट
👉 https://state.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.html
या अपने जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।