पटना: खुलेआम नाराजगी जताने से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने तक — उपेंद्र कुशवाहा की कोशिशों का कोई फायदा नहीं हुआ। एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर जारी विवाद के बीच वैशाली जिले की महुआ सीट आखिरकार चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) के खाते में ही रही। बुधवार को चिराग पासवान ने इस सीट से अपने उम्मीदवार को सिंबल दे दिया।
कुशवाहा की नाराजगी से फंसा था मामला
उपेंद्र कुशवाहा शुरू से ही एनडीए में सीट बंटवारे से असंतुष्ट थे। सोशल मीडिया पर शेरो-शायरी के जरिये वे अपनी नाराजगी जता रहे थे। मंगलवार को उनकी नाराजगी खुलकर सामने आई जब उन्हें पता चला कि उनके कोटे की महुआ और दिनारा सीटें बीजेपी ने लोजपा (रामविलास) को दे दी हैं। इसके बाद उन्होंने अपने उम्मीदवारों को नामांकन करने से रोक दिया और एनडीए के अन्य उम्मीदवारों के नामांकन कार्यक्रम से भी दूरी बना ली।
उन्होंने मीडिया के सामने कहा था — “एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं है।”
अमित शाह ने किया हस्तक्षेप
स्थिति बिगड़ती देख दिल्ली में बैठे गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप किया। बीजेपी नेता नित्यानंद राय और सम्राट चौधरी उपेंद्र कुशवाहा को दिल्ली लेकर पहुंचे, जहां उनकी अमित शाह से मुलाकात हुई। बैठक के बाद कुशवाहा ने कहा कि एनडीए में सब कुछ ठीक करने की कोशिश की जा रही है।
नहीं मिली महुआ सीट
हालांकि, इस बैठक के बावजूद भी कुशवाहा की नाराजगी दूर नहीं हुई। उन्हें महुआ सीट नहीं मिली, जिसे वे अपने बेटे दीपक कुशवाहा के लिए सुरक्षित रखना चाहते थे। अब यह सीट लोजपा (रामविलास) के खाते में बनी रहेगी।
चिराग ने अपने उम्मीदवार को दिया टिकट
लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने महुआ सीट से संजय सिंह को पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। बताया जा रहा है कि बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को मनाने के लिए एक एमएलसी सीट देने का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह ने वादा किया है कि अगले साल उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को एमएलसी बनाया जाएगा।


