बात सुनने में अजीबो लग सकती है, लेकिन सच है. दिल्ली के विधानसभा चुनाव के बाद एक पार्टी के बिहारी नेताओं में भारी बेचैनी है. पार्टी के जिस नेता से बात करिय़े, एक ही बात सुनने को मिलेगी. भाई, दिल्ली चुनाव से तो साफ हो गया है, कुछ महीने बाद होने वाले बिहार में विधानसभा चुनाव अगर अपनी पार्टी के सिंबल पर उड़ान भरनी है तो तेल का इंतजाम करना होगा. तेल से रोशनी होगी, सभी चुनावी टिकट का प्रकाश हासिल होगा.
मौसम भांप कर इंतजाम में लगे नेता
दरअसल जिस पार्टी की हम बात कर रहे हैं उनके नेताओं ने लगातार तीन चुनाव में मौसम का मिजाज भांप लिया है. पिछले साल जून में लोकसभा चुनाव हुए. बुरे वक्त पर पार्टी और नेता के लिए खून-पसीना और पैसा बहाने वाले लोगों को लगा, चुनाव में इसका इनाम मिल जायेगा. पार्टी की मजदूरी करने नेता मुंह देखते रह गये. दिए में तेल कहीं और से भर दिया गया और जिन्होने तेल दिया वे उजियारा लूट ले गये.
विधानसभा चुनाव में मौका देने का मिला था आश्वासन
पूरी ताकत से मजदूरी करने वाले नेताओं ने उसी समय गुस्सा दिखाया था. कुछ ने खुल कर बोला और कई बंद कमरे में अपना गुस्सा निकालते रहे. बड़े नेता को भी मौसम गड़बड़ाता दिखा. लिहाजा मजदूरी करने वालों को बुलाया. फिर लालीपॉप दिखाया. बिहार विधानसभा चुनाव का इंतजार करिये, मजदरी करने वालों को निराश नहीं करेंगे. सब को मौका देंगे.
दिल्ली चुनाव से फिर निराशा
पार्टी के एक नेता ने दुखड़ा सुनाते हुए कहा-हम लोगों ने समझा था कि लोकसभा चुनाव में जो हुआ सो हुआ. हमारी पार्टी में अब आगे ऐसा नहीं होगा. लेकिन हर बार वैसा ही हो रहा है. कुछ ही दिनों पहले पास के एक राज्य में चुनाव हुआ. वहां गठबंधन में हमें भी चुनाव लड़ने का मौका मिला. हमारी पार्टी के कई नेता थे वे चुनाव लड़ सकते थे. लेकिन उम्मीदवार तो सीधे पैराशूट से लैंड कर गया. बिहार के नेताओं ने इसकी पड़ताल की. पता चला कि यहां भी दीया में तेल का खेल हुआ.
बिहारी नेताओं की आखिरी उम्मीद दिल्ली में टूट गयी. दिल्ली में भी पार्टी को गठबंधन के तहत मौका मिला. उम्मीदवार ने पैराशूट लैंडिंग की. कहा गया कि पारिवारिक मामले के कारण उम्मीदवार को उड़ान भरने का मौका दिया गया है. बिहार में पार्टी की मजदूरी कर रहे भाई लोगों ने तत्काल उसकी पड़ताल की. पता चला मामला परिवार का नहीं ‘प्रसाद’ का है. पैराशूट लैंडिग वाले का परिवार से कभी संबंध रहा ही नहीं. प्रसाद चढ़ाया और सिंबल ले गये. सब रातो रात हो गया. बड़े नेता के आसपास रहने वाले भी मौसम का मिजाज नहीं भांप पाये.
तेल के इंतजाम में लगे बिहार के नेता
इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाला है. हमने इस पार्टी के एक ऐसे नेता से बात की जो पिछले चार सालों से पार्टी के लिए खून-पसीना और पैसा सब बहा रहे हैं. हमने सवाल पूछा-क्षेत्र में लगे हुए हैं न? तुरंत जवाब मिला- छोड़िये, क्षेत्र और पार्टी. तेल के जुगाड़ में लगे हैं. टिकट की रोशनी तभी आयेगी जब मेरे पास तेल होगा. ये नेता जी इन दिनों सब कुछ छोड़ कर तेल को ही स्टोर करने में लगे हैं. ताकि मौका आने पर दीया में ज्यादा से ज्यादा तेल उड़ेला जा सके. इतना जितना कोई दूसरा नहीं डाल सके. तभी कोई चांस बनेगा.
मजेदार बात ये भी है इस पार्टी के नेता बातचीत में तेल और प्रसाद की खुलकर चर्चा करते हैं. वे बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में कहा कितने लीटर तेल का खेल हुआ था. किसने कितना लीटर तेल एडवांस में दिया और किसके पास अभी तेल का हिसाब बकाया है. एक ऐसे भी हैं जो किश्तों में दीये में तेल भर रहे हैं.
तेल औऱ प्रसाद का खेल बिहार में इस पार्टी में चर्चा का सबसे हॉट टॉपिक है. जिनके पास तेल भरने की क्षमता नहीं है वे अभी से खुद को चुनावी खेल से बाहर मान चुके हैं. पार्टी के कई नेताओं ने इसी कारण साइड पकड़ लिया है. अब तो ताबड़तोड़ ऐसे लोगों को पार्टी में बुलाया जा रहा है, जिनके पास तेल का डिपो है. शायद चुनावी रोशनी वहीं फैलेगी.
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