पटना: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। आयोग जल्द ही ‘ECINET’ नामक एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च करने जा रहा है, जो मतदाताओं, निर्वाचन अधिकारियों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज को एक ही प्लेटफॉर्म पर व्यापक सेवाएं प्रदान करेगा।
क्या है ECINET ऐप?
ECINET एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे आकर्षक यूजर इंटरफेस (UI) और सहज यूजर एक्सपीरियंस (UX) के साथ डिजाइन किया गया है। इस ऐप के माध्यम से अब मतदाताओं और चुनाव से जुड़े अन्य सभी हितधारकों को अलग-अलग मोबाइल ऐप्स डाउनलोड करने और कई लॉगिन आईडी रखने की जरूरत नहीं होगी।
यह ऐप भारत निर्वाचन आयोग के पहले से मौजूद 40 से अधिक मोबाइल और वेब एप्लिकेशन को एक ही प्लेटफॉर्म पर समाहित करेगा, जिनमें Voter Helpline, Voter Turnout, CVIGIL, Suvidha 2.0, Saksham, ESMS और KYC App शामिल हैं। इन ऐप्स को अब तक 5.5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।
किन्हें मिलेगा फायदा?
ECINET ऐप से देशभर के लगभग:
- 100 करोड़ मतदाताओं
- 10.5 लाख बूथ स्तर के अधिकारी (BLOs)
- 15 लाख बूथ स्तर एजेंट (BLAs)
- 45 लाख मतदान अधिकारी
- 15,597 सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (AEROs)
- 4,123 निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (EROs)
- 767 जिला निर्वाचन अधिकारी (DEOs)
को सीधा लाभ मिलेगा। यह ऐप डेस्कटॉप और मोबाइल दोनों पर उपलब्ध होगा।
क्यों है यह ऐप खास?
- सभी चुनावी सेवाएं एक जगह
- डेटा की शुद्धता सुनिश्चित (केवल अधिकृत अधिकारी ही जानकारी अपडेट कर सकेंगे)
- किसी भी विवाद की स्थिति में विधिक डेटा ही मान्य होगा
- साइबर सुरक्षा और कार्यक्षमता की गहन जांच चल रही है
कब और कैसे हुई इसकी परिकल्पना?
इस ऐप की परिकल्पना मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मार्च 2025 में आयोजित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) के सम्मेलन में की थी। सम्मेलन में निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी भी मौजूद थे। इस ऐप के विकास में सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के CEOs, 767 DEOs और 4,123 EROs के साथ व्यापक परामर्श किया गया है। साथ ही आयोग के 76 प्रकाशनों और 9,000 से अधिक पृष्ठों की समीक्षा भी की गई है।
विधिक सुरक्षा भी होगी सुनिश्चित
ECINET ऐप से दी जाने वाली जानकारी ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 एवं 1951’, ‘निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम 1960’, ‘निर्वाचन संचालन नियम 1961’ तथा आयोग के निर्देशों के तहत विधिक रूप से संरक्षित होगी।