
तीन वर्षों में दर्ज हुए 39 हजार से अधिक सड़क हादसे, पीड़ितों को शीघ्र न्याय और मुआवजा देने में हो रही सहायता
पटना, 29 जून।बिहार समेत पूरे देश में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को शीघ्र न्याय और समुचित मुआवजा दिलाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा विकसित ई-डीएआर पोर्टल (ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट) तेज़ी से प्रभावी साबित हो रहा है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा विकसित यह डिजिटल प्रणाली दुर्घटना की जानकारी, जांच और दावे की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और त्वरित बना रही है।
तीन वर्षों में 39,000 से अधिक हादसों की रिपोर्ट दर्ज
परिवहन विभाग के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में 39,162 सड़क दुर्घटनाओं के मामले आई-आरएडी (इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस) पोर्टल पर दर्ज किए गए हैं। इसमें सबसे अधिक 4,050 मामले पटना जिले से और 2,030 मामले मुजफ्फरपुर से दर्ज हुए हैं। अब तक करीब 18,000 मामलों को ई-डीएआर पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका है, जिनमें से 2,000 से अधिक मामले फॉर्म-7 तक पहुंच चुके हैं।
क्या है ई-डीएआर और आई-आरएडी
ई-डीएआर पोर्टल, आई-आरएडी का डिजिटल रूप है, जिसे सड़क दुर्घटना से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के एकीकृत संग्रह और विश्लेषण के लिए बनाया गया है।
इस पोर्टल में एफआईआर, घटनास्थल की फोटो-वीडियो, गवाहों की जानकारी, अस्पताल रिकॉर्ड और वाहन की स्थिति जैसी तमाम जानकारियाँ डिजिटल रूप में दर्ज की जाती हैं। इससे पीड़ितों के मुआवजा दावों को तेजी से ट्रैक और निष्पादित करने में मदद मिल रही है।
क्या है फॉर्म-7
फॉर्म-7 को मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) में दायर की जाने वाली औपचारिक याचिका माना जाता है। यदि पीड़ित ने मुआवजे के लिए कोई अलग आवेदन नहीं दिया है, तो ई-डीएआर के तहत तैयार फॉर्म-7 को ही दावा पत्र मान लिया जाता है और उसी आधार पर न्यायिक कार्रवाई शुरू की जाती है। यह प्रक्रिया मुआवजा मिलने में लगने वाले समय को काफी कम कर देती है।
पुलिस की सक्रिय भूमिका
सड़क दुर्घटना की सूचना मिलते ही संबंधित थाना प्रभारी या जांच अधिकारी तत्काल ई-डीएआर मोबाइल एप के माध्यम से घटनास्थल की पूरी जानकारी अपलोड करते हैं। इसमें फोटो, वीडियो, साक्ष्य और अन्य विवरण शामिल होते हैं, जिससे केस की विश्वसनीयता और स्पष्टता बनी रहती है।
डिजिटल डाटाबेस से क्या लाभ मिल रहे हैं
- सड़क दुर्घटनाओं के हॉटस्पॉट की पहचान करना आसान हो गया है।
- दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों का विश्लेषण कर राज्य सरकार को नीति निर्माण में मदद मिल रही है।
- पीड़ितों को त्वरित न्याय और मुआवजा मिलने की प्रक्रिया सरल हुई है।
- बीमा कंपनियों, अस्पतालों और न्यायालयों के बीच समन्वय बेहतर हुआ है।
परिवहन विभाग का लक्ष्य
परिवहन विभाग का उद्देश्य है कि भविष्य में सभी सड़क दुर्घटनाओं की रिपोर्टिंग और दावे की प्रक्रिया पूरी तरह से ई-डीएआर और आई-आरएडी पोर्टल के माध्यम से ही की जाए। इसके लिए जिला स्तर पर पुलिस एवं परिवहन अधिकारियों को नियमित प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
ई-डीएआर पोर्टल सड़क दुर्घटना जैसे संवेदनशील मामलों में सरकार की एक बड़ी डिजिटल पहल है, जो तकनीक के ज़रिए पीड़ितों को शीघ्र राहत देने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो रही है। यदि यह प्रणाली और अधिक प्रभावी तरीके से लागू की जाती है, तो आने वाले वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं के बाद न्यायिक प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता और गति आ सकेगी।