
एनसीएस, ई-श्रम, ईपीएफओ जैसे प्लेटफॉर्म बन रहे कामगार कल्याण के डिजिटल स्तंभ
नई दिल्ली, 25 जून।सरकार अब सिर्फ योजनाएं नहीं बना रही, उन्हें श्रमिकों तक सही समय पर और पारदर्शी तरीके से पहुंचाने के लिए एक डिजिटल क्रांति का नेतृत्व कर रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन के अनुसार, आधुनिक तकनीक से सुसज्जित पोर्टलों और एकीकृत प्लेटफॉर्मों के जरिए सरकार ने श्रमिक कल्याण और रोजगार वृद्धि को पहले से कहीं अधिक प्रभावी बना दिया है।
चाहे बात राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल की हो या ई-श्रम, ईपीएफओ, ईएसआईसी, या स्किल इंडिया डिजिटल हब की— ये सभी अब एक संगठित डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) में काम कर रहे हैं, जो श्रमिकों को लाभ, जानकारी और सहायता एक ही मंच पर उपलब्ध करा रहे हैं।
रोज़गार की दुनिया में डिजिटल प्रवेश
2015 में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा आरंभ किया गया राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल आज देश के सबसे प्रभावी डिजिटल रोज़गार प्लेटफॉर्मों में एक बन चुका है। इस पर पंजीकृत 5.5 करोड़ से अधिक श्रमिकों को देशभर में रोज़गार अवसर, करियर काउंसलिंग, कौशल प्रशिक्षण और अप्रेंटिसशिप की जानकारी मिल रही है।
एनसीएस पोर्टल ने अब तक लगभग 57 हजार रोज़गार मेले आयोजित किए हैं और यह पीएम गतिशक्ति, डिजीलॉकर, उद्यम, ई-श्रम, एसआईडीएच, और निजी नौकरियों के प्लेटफॉर्मों से भी जुड़ा हुआ है। इससे न केवल श्रमिकों की पहुंच बढ़ी है, बल्कि नियोक्ताओं के लिए भी कुशल उम्मीदवार ढूंढना आसान हुआ है।
असंगठित क्षेत्र में डिजिटल सुरक्षा कवच
भारत की श्रम शक्ति का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है, जहाँ सामाजिक सुरक्षा की पहुंच ऐतिहासिक रूप से सीमित रही है। इस अंतर को पाटने के लिए ई-श्रम पोर्टल को वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया। अब तक 30.7 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिक इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं।
यह पोर्टल 13 सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है और हाल ही में इसमें 22 भाषाओं में भाषिणी परियोजना के ज़रिए बहुभाषी सुविधा भी जोड़ी गई है। इससे गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को भी पीएम जन आरोग्य योजना और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिला है।
डिजिटल ईपीएफओ: पेंशन और भविष्य निधि का आधुनिक चेहरा
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने भी डिजिटल बदलाव की दिशा में मजबूत कदम उठाया है। वर्तमान में इसके 34.6 करोड़ सदस्य हैं और 77 लाख पेंशनभोगी इससे लाभान्वित हो रहे हैं।
हाल में शुरू की गई केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली ने पेंशन को देश के किसी भी हिस्से से प्राप्त करने की सुविधा दी है। ऑटो-क्लेम सेटलमेंट की सीमा 1 लाख रुपए कर दी गई है जिससे 7.5 करोड़ से अधिक सदस्य लाभान्वित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त फंड ट्रांसफर प्रक्रिया को सरल बनाकर 90 हजार करोड़ रुपए के वार्षिक अंतरण को और सहज बना दिया गया है।
संकट में उपयोगी साबित हो रहा है डिजिटल डेटाबेस
महामारी जैसी आपातकालीन परिस्थितियों में ई-श्रम और अन्य पोर्टलों द्वारा बनाए गए रोज़गार और श्रमिक डेटाबेस बेहद उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। इससे सरकार को ज़रूरतमंदों की त्वरित पहचान और समय पर सहायता संभव हो पाती है।
आईएलओ की 2026 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सामाजिक सुरक्षा दायरा 2015 के 19% से बढ़कर 2025 में 64.3% हो गया है। लाभार्थियों के लिहाज़ से भारत अब विश्व में दूसरे स्थान पर है। यह उपलब्धि 32 केंद्रीय और राज्य स्तरीय योजनाओं को डिजिटल माध्यम से एकीकृत करने का प्रतिफल है।
नियोक्ताओं की भूमिका भी अहम
डॉ. नागेश्वरन के अनुसार, तकनीक के इन लाभों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में उद्योग और नियोक्ताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। विशेषकर गिग इकॉनॉमी और फ्रीलांस प्लेटफॉर्मों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का कार्यान्वयन काफी हद तक प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर्स की भागीदारी पर निर्भर करता है।
नियोक्ताओं को यह समझना होगा कि सुरक्षित और संरक्षित कार्यस्थल और श्रमिकों की संतुष्टि ही दीर्घकालिक उत्पादकता की कुंजी है।
भविष्य की ओर एक निर्णायक कदम
डिजिटल माध्यमों से रोजगार और श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में किए गए ये प्रयास न केवल नीतिगत दक्षता का संकेत हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि डिजिटल भारत का सपना अब ज़मीन पर उतर चुका है। सरकारी योजनाओं की पहुँच अब केवल कागज़ी नहीं, आधार से जुड़ी, डेटा-संचालित और ऐप-आधारित हो चुकी है।
भारत का यह डिजिटल मॉडल अब ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस के रूप में उभर रहा है – जो विकासशील देशों के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।