बिहार के एक अनुमंडल में पदस्थापित एसडीपीओ के खेल को डीआईजी ने पकड़ लिया है. अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने केस में सभी अभियुक्तों को बचाने की पूरी कोशिश की. दहेज हत्या के केस को आत्महत्या में बदल दिया. पुलिस उप महानिरीक्षक ने जब केस की समीक्षा की तो जांच अधिकारी और एसडीपीओ की पोल खुल गई. अब एसडीपीओ के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है.
डीआईजी ने एसडीपीओ की खोली पोल
पूर्णिया क्षेत्र के डीआईजी प्रमोद कुमार मंडल ने पुलिस अधीक्षक कटिहार को पत्र लिखा है. 23 जनवरी 2025 को लिखे पत्र में डीआईजी पूर्णिया ने कटिहार जिले के पोठिया थाना कांड संख्या- 123/ 24 का जिक्र किया है. जिसमें कटिहार के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर-2 धर्मेंद्र कुमार एवं केस के अनुसंधानकर्ता ने दहेज हत्या जैसे संगीन केस में अभियुक्तों को लाभ पहुंचाया. इस केस के आईओ के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. साथ ही अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर-2 के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन देने को कहा है.
दहेज हत्या को आत्महत्या करार दे दिया
डीआईजी की समीक्षा के बाद कटिहार के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर- 2 धर्मेंद्र कुमार पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने अपने पर्यवेक्षण में घटना को आत्महत्या बताया, लेकिन आत्महत्या का कोई कारण का उल्लेख नहीं किया. जबकि मृतका के परिवार वाले स्पष्ट रूप से दहेज मांगने की बात कर रहे हैं. साथ ही घटनास्थल पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जबकि मृतका पढ़ी लिखी थी. भारतीय न्याय संहिता की धारा-80 में स्पष्ट उल्लेख है की शादी के 7 साल के अंदर महिला की संदिग्ध मृत्यु को दहेज मृत्यु माना जाएगा. इस केस में मृतका की शादी के सिर्फ 1 वर्ष हुए थे .
एसडीपीओ ने प्रेम-प्रसंग का मामला बताकर आरोपियों को फायदा पहुंचाया
डीआईजी ने केस की समीक्षा में पाया है कि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी और अनुसंधानकर्ता ने मृतका की मृत्यु को आत्महत्या माना. लेकिन आत्महत्या को उकसाने के मामले में कोई गिरफ्तारी का प्रयास नहीं किया गया. बल्कि इस मामले को प्रेम-प्रसंग का रूप देकर अभियुक्त को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई. प्रेम प्रसंग के कारण आत्महत्या करने का कोई साक्ष्य भी नहीं दिया. अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में कहीं भी मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट का जिक्र नहीं किया है, ना ही अनुसंधानकर्ता ने केस डायरी में मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट का उल्लेख किया है. जबकि हत्या, दहेज मृत्यु के मामले में यह एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है, जिसकी जानबूझकर अनदेखी की गई ताकि अभियुक्त पक्ष को लाभ पहुंच सके. अनुसंधानकर्ता ने बताया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण STRANGULATION बताया गया है जो की हत्या की पुष्टि करता है .
डीआईजी ने कार्रवाई को लेकर एसपी से प्रतिवेदन मांगा
डीआईजी ने कहा है की समीक्षा के दौरान जो साक्ष्य हैं, उससे स्पष्ट हो रहा है कि यह केस पूर्णतः दहेज मृत्यु का प्रतीत हो रहा है. इसमें सभी प्राथमिकी अभियुक्त इसके लिए दोषी हैं. ऐसे में कटिहार के पुलिस अधीक्षक इस केस में प्रतिवेदन-2 जारी करें. साथ ही अनुसंधानकर्ता के खिलाफ उचित दंडात्मक कार्रवाई करें . अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर-2 कटिहार धर्मेंद्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई के लिए विहित प्रपत्र में प्रतिवेदन भेजें.
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.