
भागलपुर | नवगछिया | 6 जुलाई 2025: नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र में एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें दर्जनों गांवों की सैकड़ों महिलाओं से करोड़ों रुपये की ठगी की गई है। यह धोखाधड़ी ‘समाज उन्नति केंद्र’ नामक फर्जी एनजीओ के माध्यम से की गई, जिसने महिलाओं को स्वयं सहायता समूह बनाकर लोन दिलाने के नाम पर रकम वसूली और अब पूरा मामला ठगी का रूप ले चुका है।
95 फर्जी समूह, करोड़ों की ठगी
ठगों ने नवगछिया के धोबिनिया, रसलपुर, वैसी, बनिया और आसपास के गांवों की महिलाओं को स्वरोजगार लोन योजना का सपना दिखाकर ‘समाज उन्नति केंद्र’ नाम की फर्जी संस्था बनाई। इस संस्था को पंजीकृत एनजीओ बताकर इसके लिए मुहर, डायरी, रजिस्टर और बैठकें भी आयोजित की जाती थीं।
हर स्वयं सहायता समूह में 5 महिलाएं शामिल की गईं और कुल 95 समूह बनाए गए। महिलाओं से हर सप्ताह या महीने में वसूली की जाती रही और उनकी डायरी में हस्ताक्षर भी करवाए जाते थे। उन्हें बताया गया कि यह संस्था केनरा बैंक नवगछिया शाखा से लोन दिला रही है और वसूली की जिम्मेदारी संस्था की है।
फर्जी एजेंट बनकर की वसूली
अमरेश कुमार और संजीव कुमार नामक दो व्यक्ति खुद को केनरा बैंक का एजेंट बताकर घर-घर जाकर वसूली करते थे। महिलाओं ने नियमित रूप से किश्तें चुकाईं और रजिस्टर-डायरी में भुगतान के प्रमाण भी हैं।
लेकिन अब जब बैंक से महिलाओं को बकाया लोन के लिए नोटिस मिलने लगे, तो उन्हें ठगे जाने का एहसास हुआ। बैंक से मिली जानकारी के अनुसार बकाया राशि 1 करोड़ 40 लाख 62 हजार 499 रुपये है।
बैंक प्रशासन चुप
महिलाएं जब नवगछिया स्थित केनरा बैंक शाखा पहुंचीं, तो शाखा प्रबंधक इमरान सिद्दीकी ने बताया कि यह मामला 2021 से जुड़ा हुआ है, जब प्रशांत कुमार झा शाखा प्रबंधक थे। वर्ष 2023 में तत्कालीन प्रबंधक विद्यापति ठाकुर द्वारा रीजनल ऑफिस को सूचना दी गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
फिलहाल अमरेश कुमार और संजीव कुमार फरार हैं, और महिलाएं न्याय व दोषियों की गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं। बैंक ने महिलाओं को लिखित आवेदन देने को कहा है, जिसे उच्च कार्यालय भेजा जाएगा।
प्रशासनिक लापरवाही से संकट में महिलाएं
इस पूरे मामले ने बैंक, प्रशासन और कानून-व्यवस्था की लापरवाही को उजागर कर दिया है। गरीब और ग्रामीण महिलाएं, जिन्होंने स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की उम्मीद में इस योजना का हिस्सा बनी थीं, आज गहरे आर्थिक संकट में हैं।
यह घोटाला सिर्फ एक वित्तीय धोखाधड़ी नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के विश्वास और भविष्य के साथ किया गया क्रूर मज़ाक है। अब देखना है कि दोषियों को कब तक पकड़कर न्याय दिलाया जाता है।