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भागलपुर, 24 जून।भागलपुर जिला विधिज्ञ संघ (Bar Association) परिसर में चल रहे भवन निर्माण कार्य को लेकर उठे विरोध की स्थिति पर संघ ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में जिला विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष वीरेश मिश्रा और महासचिव अंजनी कुमार दुबे ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह निर्माण कार्य अधिवक्ताओं की गाढ़ी कमाई से हो रहा है और इसमें बाधा डालना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि अनुचित भी है।

विधिज्ञ संघ: “यह अधिवक्ताओं की सुविधा के लिए निर्माण”

अध्यक्ष वीरेश मिश्रा ने कहा कि डीबीए (District Bar Association) परिसर में अधिवक्ताओं की सुविधा के लिए संघ के फंड से नया भवन बनाया जा रहा है, ताकि अधिवक्ताओं को बैठने और कार्य करने के लिए बेहतर स्थान उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा:

“यह भवन किसी निजी लाभ के लिए नहीं, बल्कि अधिवक्ताओं की कठिनाई को दूर करने के लिए बनाया जा रहा है। इसमें विरोध करना अधिवक्ता समुदाय के व्यापक हितों के खिलाफ है।”

“संघ के नाम पर दूसरा कोई संगठन नहीं”: मिश्रा

विरोध के संदर्भ में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि भागलपुर में “जिला विधिज्ञ संघ” के अतिरिक्त किसी अन्य समानांतर संघ का कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग “जिला विधिज्ञ संघ बचाओ संघर्ष समिति” के नाम पर बेवजह विवाद उत्पन्न कर रहे हैं।

“विरोध करना नादानी, आवश्यकता पड़ी तो होगी विधिसम्मत कार्रवाई”

संघ अध्यक्ष ने विरोध करने वालों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि:

“विरोध करना नादानी है। यदि कोई सीमा पार करता है तो संघ विधिसम्मत कार्रवाई करेगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि संघ की ओर से निर्माण कार्य में कोई अनियमितता नहीं हो रही है और यह पूरी तरह पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है।

एसडीओ का निर्देश: निर्माण कार्य पर फिलहाल विराम

वहीं, इस मुद्दे पर भागलपुर के एसडीओ द्वारा निर्देशित किया गया है कि विवाद के निपटारे तक भवन निर्माण कार्य पूरी तरह स्थगित रहेगा। यह आदेश निर्माण को लेकर दोनों पक्षों में उत्पन्न विवाद के मद्देनज़र दिया गया है। एसडीओ ने मामले की निष्पक्ष जांच के बाद ही निर्माण को पुनः शुरू करने की अनुमति देने की बात कही है।


इस मामले में जहां एक ओर विधिज्ञ संघ इसे अधिवक्ताओं की सुविधा से जोड़ रहा है, वहीं विरोधी पक्ष इसे पारदर्शिता और संघ की एकरूपता के उल्लंघन के रूप में देख रहा है। प्रशासन की भूमिका भी अब महत्वपूर्ण हो गई है, जो इस विवाद के समाधान में निर्णायक होगी।