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आतिथ्य उद्योग में भारत की नई पहचान और संभावनाओं की उड़ान

लेखक:श्री ज्ञान भूषण (आईईएस), वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार, पर्यटन मंत्रालय और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एनसीएचएमसीटी
डॉ प्रतीक घोष, विभागाध्यक्ष, डॉ अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, चंडीगढ़


आतिथ्य उद्योग की नई लहर और भारत की भूमिका

दुनिया भर में आतिथ्य उद्योग नए अवसरों और मांगों के साथ उभर रहा है, और भारत इस परिवर्तन का प्रमुख केंद्र बन रहा है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के अधीन होटल प्रबंधन संस्थान (IHMs) इस विकास के मजबूत स्तंभ हैं।


संस्थानों की गौरवशाली विरासत

संजीव कपूर, मंजीत गिल, पुनीत चटवाल जैसे नामी दिग्गजों ने इन संस्थानों की छवि को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है।


उद्योग से जुड़ाव: बेहतर शिक्षा, बेहतर अवसर

IHMs और होटल ब्रांड्स के बीच मजबूत साझेदारी पाठ्यक्रम को उद्योग की जरूरतों के मुताबिक ढालती है, जिससे छात्रों को इंटर्नशिप और प्लेसमेंट में फायदा मिलता है।


भविष्य के लिए तैयार पाठ्यक्रम

नवाचारों जैसे AI, डिजिटल मार्केटिंग और सतत पर्यटन को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे छात्रों को बहुआयामी कौशल मिलते हैं।


प्रवेश और पहुँच का विस्तार

• स्कूलों में कैरियर कैंप
• डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर जानकारी
• पारदर्शी और सुव्यवस्थित एनसीएचएम-जेईई प्रक्रिया


शानदार प्लेसमेंट रिकॉर्ड

टॉप होटल ब्रांड्स, क्रूज़ लाइनर्स और MNCs हर साल छात्रों को रोजगार देते हैं — हालिया उदाहरण AIHM चंडीगढ़ का 100% प्लेसमेंट।


वैश्विक अनुभव और नेटवर्किंग के अवसर

अमेरिका, बर्मिंघम, मॉरीशस जैसे देशों की यूनिवर्सिटीज और होटल्स में इंटर्नशिप और रिसर्च के अवसर छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उतारते हैं।


शिक्षक प्रशिक्षण और नवाचार संस्कृति

उद्योग से जुड़े संकाय विकास कार्यक्रम और छात्रों के लिए इनक्यूबेशन केंद्र इन संस्थानों को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।


बदलते क्षेत्रों में नई पहलें

• रक्षा बलों के साथ कौशल प्रशिक्षण
• पाककला शिक्षा को विशेष रूप देना
• CSR सहयोग और सामुदायिक पहल


होटल प्रबंधन: करियर से कहीं अधिक

यह केवल डिग्री नहीं, बल्कि वैश्विक उद्योगों में नेतृत्व, उद्यमिता और सेवा कौशल का प्रवेश द्वार है।


अगर आप एक ऐसे क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं जहाँ हर दिन नई चुनौतियाँ और रोमांच हो, तो होटल प्रबंधन संस्थान आपकी सही शुरुआत हो सकते हैं। समय रहते कदम उठाइए — क्योंकि “जो कुछ करना है वह एक मिनट देर से करने से बेहतर है कि तीन घंटे पहले कर लें।”