बिहारवासियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अब उनका बुलेट ट्रेन में सफर करने का सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है। नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने वाराणसी-पटना-हावड़ा हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के अंतर्गत बिहार में बुलेट ट्रेन चलाने की दिशा में तेज़ी से काम शुरू कर दिया है।
इन जिलों से गुजरेगी बुलेट ट्रेन
बुलेट ट्रेन की यह हाई-स्पीड सेवा बिहार के पांच प्रमुख जिलों — बक्सर, आरा, जहानाबाद, पटना और गया — से होकर गुजरेगी। ट्रेन की अधिकतम रफ्तार 320 से 350 किमी प्रति घंटा होगी, जो जापानी शिंकानसेन तकनीक पर आधारित है।
सफर में बचत, अनुभव में लग्जरी
यह बुलेट ट्रेन दिल्ली से पटना की मौजूदा 17 घंटे की यात्रा को महज 3 घंटे में तय कर सकेगी। ट्रेन में अत्याधुनिक सुविधाएं जैसे:
- डबल-स्किन एल्यूमीनियम एलॉय बॉडी
- शोर-रोधक केबिन
- एर्गोनॉमिक सीटें
- ऑटोमैटिक दरवाजे और CCTV
- मोबाइल चार्जिंग पॉइंट और आधुनिक टॉयलेट्स
- हाई-एंड डाइनिंग ऑप्शन
मौजूद होंगे। पटना में प्रस्तावित स्टेशन AIIMS के पीछे फुलवारी शरीफ में बनाया जाएगा।
टेक्नोलॉजी और सुरक्षा का अनोखा संगम
बुलेट ट्रेन में डिजिटल शिंकानसेन ऑटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम, अर्ली अर्थक्वेक डिटेक्शन, विंड स्पीड मॉनिटरिंग, और रेल टेम्परेचर सेंसर जैसी हाईटेक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा, स्वचालित ब्रेकिंग सिस्टम और टकराव चेतावनी प्रणाली यात्रियों की सुरक्षा को और मजबूत बनाएंगे।
पर्यावरण भी रहेगा सुरक्षित
यह बुलेट ट्रेन 100% बिजली से संचालित होगी, जिससे CO2 उत्सर्जन में भारी कमी आएगी। एक यात्री के लिए यह ट्रेन प्रति 600 किमी केवल 8.1 किग्रा CO2 उत्सर्जित करती है, जबकि कार और हवाई जहाज का उत्सर्जन क्रमश: 67.4 किग्रा और 93 किग्रा होता है। स्टेशनों पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, सोलर पैनल, और वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट जैसी पर्यावरण-हितैषी तकनीकों को अपनाया जाएगा।
विकास को मिलेगा बूस्ट
यह 260 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बिहार के 58 गांवों को जोड़ेगा, जिससे पर्यटन, रोजगार, और रियल एस्टेट में भारी उछाल आएगा। परियोजना के पहले चरण में बक्सर, पटना और गया में स्टेशन बनाए जाएंगे, जबकि आरा और जहानाबाद को दूसरे चरण में शामिल किया जाएगा। पटना में लगभग 135.06 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा और किसानों को सर्किल रेट का 2 से 4 गुना तक मुआवज़ा मिलेगा।
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा समर्थन
हालांकि यह परियोजना जापानी तकनीक पर आधारित होगी, लेकिन इसका निर्माण भारतीय कंपनियों की भागीदारी के साथ किया जाएगा। NHSRCL ने DPR (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने की प्रक्रिया तेज कर दी है, जो अगस्त 2025 तक पूरी हो सकती है।