पटना: पंचायत शिक्षक के पिता के नाम को लेकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने अपनी गलती मान ली है. गलती स्वीकार करने के बाद पटना हाईकोर्ट के जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने पंचायत शिक्षक के खिलाफ दर्ज केस को निरस्त करने का आदेश दिया. पटना हाईकोर्ट ने अगस्त 2017 से बंद वेतन को याचिकाकर्ता को देने का आदेश राज्य सरकार को दिया. कोर्ट ने परशुराम राय की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है .इसके साथ ही केस को निष्पादित कर दिया.
कोर्ट ने पंचायत शिक्षक के बंद वेतन भुगतान का दिया आदेश
मैट्रिक प्रमाण पत्र में पिता का नाम और जन्मतिथि गलती सुधार किये जाने के बाद टेबुलेशन रजिस्टर में सुधार नहीं किया गया. आवेदक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के मामले में पटना हाई कोर्ट के समक्ष बोर्ड की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट के समक्ष बोर्ड की गलती मानी. परीक्षा समिति ने कहा कि टेबुलेशन रजिस्टर में सुधार नहीं किये जाने के कारण मैट्रिक परीक्षा के प्रमाण पत्र के वेरिफिकेशन में पिता का नाम और जन्म तिथि में भिन्नता पाई गई.
हाईकोर्ट ने BSEB के सचिव को किया था तलब
गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने कल 11 नवंबर, 2024 को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव को पूरे रिकॉर्ड के साथ तलब किया था.आज मामले पर सुनवाई के दौरान आवेदक के अधिवक्ता अंशुल ने कोर्ट को बताया कि आवेदक ने वर्ष 2007 में पंचायत शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. आवेदन के साथ आवश्यक सभी प्रमाण पत्र संलग्न किया था.
प्रमाण पत्र में पिता के नाम गलत लिख दिया
उन्होंने कोर्ट को बताया कि आवेदक के पिता का नाम रामावतार राय है, लेकिन परीक्षा समिति की ओर से जारी मैट्रिक प्रमाण पत्र में आवेदक के पिता का नाम रंगबहादुर दर्ज हो गया था. याचिकाकर्ता की जन्म तिथि 01जनवरी,1974 की जगह 7 मई,1975 दर्ज कर दिया गया था.
पंचायत शिक्षक पर केस दर्ज
उन्होंने पटना हाईकोर्ट को बताया कि आवेदक ने प्रमाण पत्र में संशोधन के लिए 1997 में परीक्षा समिति में आवेदन दे कर सही करने का अनुरोध किया गया था. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने आवेदन पर कार्रवाई करते हुए पिता के नाम और जन्म तिथि में सुधारी कर दी, लेकिन बोर्ड के टेबुलेशन रजिस्टर में सुधार नहीं किया. पंचायत शिक्षक के पद पर नियुक्त होने के बाद जब मैट्रिक प्रमाण पत्र सत्यापन के लिये जमा किया गया तो सतर्कता विभाग ने आवेदक के खिलाफ प्राथमिकी तक दर्ज करा दी गई. कहा गया कि आवेदक ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर पंचायत शिक्षक के रूप में अपनी नियुक्ति कराई है.
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