LIVE EXIT POLL
🗳️ Axis My India: NDA 121–141 सीटें | महागठबंधन 98–118 सीटें | अन्य 4–8 सीटें
📊 Today’s Chanakya: NDA 130–150 सीटें | महागठबंधन 80–100 सीटें | अन्य 5–10 सीटें
🗳️ India TV–CNX: NDA 118–138 सीटें | महागठबंधन 95–115 सीटें | अन्य 3–6 सीटें
📈 ABP–C Voter: NDA 127 सीटें | महागठबंधन 105 सीटें | अन्य 11 सीटें
🗳️ Times Now–ETG: NDA 120–140 सीटें | महागठबंधन 90–110 सीटें | अन्य 5–8 सीटें
📊 TV9 Bharatvarsh–Polstrat: NDA 125–145 सीटें | महागठबंधन 85–105 सीटें | अन्य 4–6 सीटें
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पटना: बिहार में लगातार पुल गिरने की घटना के बाद जल संसाधन विभाग ने पुल-पुलिया की जांच करवाई थी. जांच में करीब 700 पुल-पुलिया लावारिस मिले हैं. किस विभाग ने इनका निर्माण कराया है, इसका पता नहीं चल रहा है. नीतीश सरकार ने वर्ष 2014 में ही यह व्यवस्था की थी कि पुल-पुलिया के निर्माण से पहले जल संसाधन विभाग से एनओसी लेना होगा, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया है. पथ निर्माण विभाग ने भी सभी पुलों की ऑडिट कराई है. पुल निर्माण निगम ने 1700 पुलों की ऑडिट की है. बड़े पैमाने पर पुल पुलियों के जर्जर होने की खबर है. जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक में यह फैसला हुआ है।

क्षेत्रीय मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता से मांगी रिपोर्ट: बिहार में पिछले 10 साल में बने सभी पुल-पुलियों की जांच के लिए जल संसाधन विभाग ने अपने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों से रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है. पुल-पुलियों के साथ अन्य जितनी भी संरचनाओं का निर्माण किया गया है, सभी की जांच की जाएगी. इसकी जिम्मेवारी सभी क्षेत्रीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता के अलावा केंद्रीय रूपांकरण शोध एवं गुणवत्ता नियंत्रण के मुख्य अभियंता को दी गई है. क्षेत्रीय स्तर से एनओसी में निहित शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट लेकर मुख्यालय को समर्पित करने का निर्देश अभियंताओं को दिया गया है।

पिछले 10 वर्षों में निर्मित पुल-पुलियों की होगी जांच: पहले 5 वर्षों के लिए जांच का निर्णय लिया गया था, लेकिन जल संसाधन विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई कि गड़बड़ी की आशंका इसके पहले की भी हो सकती है. ऐसे में जिन विभागों या जिलों में पुल-पुलियों का निर्माण हुआ है, उसको दिए गए अनापत्ति प्रमाण पत्र की शर्तों का कितना अनुपालन किया गया है, इसकी जांच होगी. तय मापदंड का पालन किया गया है या नहीं और शर्तों का उल्लंघन किस स्तर पर किया गया है और उसके कारण पुल पुलियों पर क्या असर पड़ा है, इन सब की जांच पड़ताल की जाएगी।

2015 से ही एनओसी लेना अनिवार्य: वर्ष 2014-15 में नीतीश सरकार ने पुल पुलियों समेत नदियों और नहरों पर संरचना निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य बनाया था लेकिन समीक्षा बैठक और जांच में यह बात सामने आई है कि कई मामलों में विभाग से बगैर सहमति लिए ही पुल बना दिए जाते हैं. कुछ मामलों में स्थानीय निकाय से एनओसी ले ली जाती है या फिर जो एनओसी ली जाती है, उसका पूरी तरह से अनुपालन नहीं किया जाता है।

पुल गिरने पर सीएम गंभीर: वहीं, विभागीय स्तर पर जांच नहीं होने से नदी की धारा के संबंध में अध्ययन नहीं हो पाता. इस वजह से बाढ़ के समय कई तटबंध कट जाते हैं. ऐसे में विभागीय अनुमति अनिवार्य बनाया था. इसमें एनओसी से पहले स्थल निरीक्षण का भी प्रावधान किया गया है. बिहार में लगातार पुल पुलियों के गिरने के बाद नीतीश सरकार गंभीर हुई है और मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ही जल संसाधन विभाग ने यह बड़ा कदम उठाया है।

निर्माण के साथ मेंटेनेंस पर भी जोर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुल पुलियों के निर्माण के साथ उसके मेंटेनेंस को लेकर भी निर्देश दिया है लेकिन पहले से जो पुल बने हुए हैं और बड़ी संख्या में जर्जर हालत में है और मरम्मत की जरूरत है वैसे पुल पुलियों की कई स्तर पर सर्वे और जांच के बाद सरकार उसके मरम्मत का भी फैसला ली है. 30 मीटर से अधिक पुल का निर्माण पथ निर्माण विभाग करता है तो वहीं ग्रामीण कार्य विभाग छोटे पुल के साथ पुलियों का निर्माण भी करता है. अब जो पुल पुलियों का निर्माण हो रहा है, उसमें मुख्यमंत्री ने कई स्तर पर निर्देश दे रखा है. निर्माण के साथ उसके मेंटेनेंस पर भी जोर है।

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