ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड: मॉर्निंग वॉक के दौरान शूटर्स ने मारी थी गोलियां, तब जल उठा था पूरा बिहार

बिहार के बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड को लेकर सीबीआई ने पूरक आरोप पत्र यानी सप्लमेंट्री चार्जशीट दायर की है, जिसके बाद एक बार फिर से ये हाई प्रोफाइल मर्डर केस सुर्खियों में है. केस में 8 के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है, जिनमें हुलास पांडेय जैसे बाहुबली का भी नाम शामिल है. लोग ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर मुखिया कौन थे और उनकी हत्या क्यों की गई थी, साथ ही रणवीर सेना क्या था, इसका भी लोग जवाब जानना चाह रहे हैं।

रणवीर सेना बिहार में नक्सलियों और सवर्णों के बीच दशकों तक चले खूनी संघर्ष का एक मोर्चा था जिसे सवर्णों की सेना कहा जाता था. इस सेना के सुप्रीमो या यूं कहें सर्वे सर्वा ब्रह्मेश्वर मुखिया थे, जिनकी करीब 11 साल पहले आरा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बिहार में नक्सलियों और सवर्णों के बीच दशकों तक चले खूनी संघर्ष के साक्षी रहे रणवीर सेना के सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया की 1 जून 2012 को आरा में गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. बिहार के भोजपुर जिले के पवना थाना क्षेत्र के खोपीरा गांव निवासी ब्रह्मेश्वर मुखिया का घर आरा शहर में कतिरा-स्टेशन रोड में अभी भी है. एक जून 2012 को रोज की तरह सुबह में मुखिया अपने आवास की गली में ही टहल रहे थे, इसी दौरान सुबह के करीब चार-साढ़े चार बजे उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

जल उठे थे बिहार के कई जिले

आरा में हुई हत्या की इस वारदात के चंद घंटों बाद ही बिहार के हर इलाके से हिंसा और विरोध की खबरें आनी लगी थीं और देखते ही देखते आरा सहित कई शहर जलने लगे थे. 9 साल बाद भी इस मर्डर केस में हत्यारों का सुराग नहीं मिल सका था लेकिन नए चार्जशीट ने इस केस को फिर से जीवित कर दिया है. मुखिया हत्याकांड के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक की सियासत गरमा गई थी. मुखिया की हत्या के बाद आरा समेत पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद एवं गया जिला समेत बिहार के अन्य जगहों पर उपद्रव हुआ था. आरा में तो उन्मादी भीड़ ने सरकारी तंत्र को खास तौर पर निशाने को लिया था।

भीड़ ने डीजीपी पर भी कर दिया था हमला

तब आरा में भीड़ ने तत्कालीन डीजीपी अभयानंद पर भी हमला बोलने की कोशिश की थी और उन पर हाथ तक उठा दिया था. उस दिन आरा में लोगों के गुस्से का शिकार विधायक से लेकर पुलिस और मीडिया वाले तक बन रहे थे. मुखिया की हत्या के बाद देर शाम उनके शव का पोस्टमार्टम हुआ और अगले दिन यानी 2 जून को उनकी शव यात्रा निकली थी. पिता की हत्या के बाद उनके बेटे इंदुभूषण सिंह ने आरा के नवादा थाना में अज्ञात के विरुद्ध केस दर्ज कराया था, जिसके बाद बिहार सरकार ने पहले एसआइटी का गठन किया और सच सामने नहीं आने पर सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में कई बड़े लोगों का नाम सामने आया था लेकिन यह पता नहीं चल सका था कि ब्रह्मेश्वर मुखिया पर गोली चलाने वाले हमलावर कौन थे।

कौन थे ब्रह्मेश्वर मुखिया

ब्रह्मेश्वर मुखिया बिहार में सवर्णों के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के सुप्रीमो थे. मुखिया पर 2012 तक 277 लोगों की हत्या और उनसे जुड़े 22 अलग-अलग मामलों में केस दर्ज थे. भोजपुर जिले के इस शख्स को 16 मामलों में उन्हें साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था जबकि बाकी 6 मामलों में मुखिया को जमानत मिली थी. उनको 29 अगस्त 2002 को पटना के एक्जीबिशन रोड से पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया ने 9 साल तक जेल की सजा काटी और उसके बाद आठ जुलाई 2011 को उनकी रिहाई हुई. जेल से छूटने के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया आरा में ही ज्यादा रहते थे और कतिरा स्थित आवास के समीप ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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