प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जातीय गणना का ऐतिहासिक निर्णय, सभी जातियों के समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त
पटना, 3 मई 2025 – बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने केंद्र सरकार द्वारा आगामी जनगणना में जातीय गणना को शामिल किए जाने के निर्णय को ऐतिहासिक और दूरदर्शी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम सभी जातियों के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देगा तथा सामाजिक समरसता को मजबूत करेगा।
कांग्रेस का दोहरा चेहरा उजागर
उपमुख्यमंत्री ने कांग्रेस, राजद और इंडी गठबंधन पर जातीय जनगणना को लेकर केवल राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि:
- नेहरू से मनमोहन तक, कांग्रेस सरकारें जातीय जनगणना से भागती रहीं।
- 2011 में तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने इसे जनगणना में शामिल करने का विरोध किया।
- सत्ता से बाहर होने के बाद ही कांग्रेस को जातीय जनगणना की याद आई।
भाजपा का स्पष्ट रुख: कोई विरोध नहीं, हमेशा समर्थन
श्री चौधरी ने बताया कि:
- भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कभी जातीय जनगणना का विरोध नहीं किया।
- गृहमंत्री अमित शाह ने भी सितंबर 2024 में इसका समर्थन किया था।
- बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जातीय सर्वेक्षण भी कराया गया, जिसे एनडीए ने समर्थन दिया।
प्रधानमंत्री का निर्णय – सबका साथ, सबका विकास
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि 30 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने निर्णय लिया कि आगामी जनगणना में जातीय आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह निर्णय “सबका साथ, सबका विकास” की भावना से प्रेरित है।
सटीक डेटा, सशक्त नीतियाँ
श्री चौधरी ने कहा कि सरकार के लिए नीतिगत फैसलों और योजनाओं की दिशा तय करने में सटीक जातीय आंकड़े अनिवार्य हैं। यह कदम समाज में समरसता बनाए रखने के साथ-साथ, हाशिए पर रह गई जातियों को मुख्यधारा में लाने में सहायक सिद्ध होगा।
प्रधानमंत्री को दी बधाई
उन्होंने इस ऐतिहासिक पहल के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देते हुए कहा कि आज़ादी के बाद पहली बार जातीय गणना को जनगणना प्रक्रिया में संवैधानिक, पारदर्शी और राष्ट्रीय उद्देश्य के साथ शामिल किया जा रहा है।