बिहार में शहरी सड़कों के रख-रखाव की नीति बदली: अब 7 साल तक सड़क की जिम्मेदारी उसी एजेंसी पर, 23 हजार करोड़ का मेगा प्लान तैयार

बिहार सरकार ने शहरी सड़कों के रख-रखाव को लेकर बड़ा और दूरगामी बदलाव किया है। पथ निर्माण विभाग ने नई मरम्मत नीति ओपीआरएमसी-3 (दीर्घकालीन निष्पादन एवं उपलब्धि आधारित संविदा) तैयार की है, जिसके तहत अब वही एजेंसी सड़क बनाएगी, उसकी मरम्मत करेगी और पूरे सात साल तक सड़क की देखरेख की जिम्मेदारी भी उसी एजेंसी पर होगी। यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है।


19 हजार किमी से अधिक सड़कों के लिए 23 हजार करोड़ का ब्लूप्रिंट

नई नीति के तहत राज्य की 19,360.674 किमी शहरी सड़कों, स्टेट हाईवे और जिला मुख्य सड़कों को मरम्मत योजना में शामिल किया गया है। इसमें—

  • 14,225.398 किमी सड़कें पहले से चालू
  • 5,135.276 किमी को सैद्धांतिक मंजूरी

विभाग ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए लगभग 23 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है, जो पिछली ओपीआरएमसी-2 नीति से लगभग चार गुना बड़ा प्रोजेक्ट है।


100 पैकेज—100 एजेंसियां, जवाबदेही और पारदर्शिता पर जोर

मरम्मत को 100 पैकेजों में बांटा जाएगा और कुल 100 एजेंसियों का चयन होगा।
किसी एजेंसी को एक से अधिक पैकेज दिए जा सकते हैं, लेकिन:

  • क्षमता
  • तकनीकी योग्यता
  • और पिछले प्रदर्शन

के आधार पर ही ठेका मिलेगा। विभाग का लक्ष्य है कि सड़क मरम्मत में पारदर्शिता, गुणवत्ता और जवाबदेही को मजबूत किया जाए।


गुणवत्ता में कमी पर 40% राशि तक कटौती

नई नीति एजेंसियों पर कड़ी निगरानी रखेगी। प्रावधान किया गया है कि—

  • सात साल की अवधि में
  • यदि सड़क की गुणवत्ता घटती है
  • या मानकों का पालन नहीं होता

तो एजेंसी की 40% तक राशि काट ली जाएगी, जिसे विभाग ने दंडात्मक कटौती कहा है। साफ संदेश है कि सड़क निर्माण केवल ठेका नहीं, बल्कि 7 साल की जिम्मेदारी होगी।


सिर्फ गड्ढा भरने से काम नहीं चलेगा: अनिवार्य री-न्यूअल

नई नीति के अनुसार एजेंसी को मरम्मत अवधि में:

  • सड़क का एक बार अतिरिक्त कालीकरण (री-न्यूअल) करना अनिवार्य होगा
  • नियमित मॉनिटरिंग
  • किनारों की मजबूती
  • सतह की सुरक्षा

जैसे मानकों को प्राथमिकता देनी होगी। केवल गड्ढा भरने वाली परंपरागत मरम्मत अब स्वीकार्य नहीं होगी।


सड़कों की किस्मत बदलने की उम्मीद

सरकार को उम्मीद है कि नई नीति से शहरी सड़कों को:

  • हर साल होने वाले मौसमी क्षरण
  • मानकहीन मरम्मत
  • और उपेक्षा

से छुटकारा मिलेगा। इस कदम को बिहार के शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार में सबसे अहम बदलावों में से एक माना जा रहा है।


 

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