पटना, 23 मई 2025:बिहार में पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों का सकारात्मक परिणाम अब साफ दिखने लगा है। वर्ष 2005 में जहाँ राज्य का वन क्षेत्र महज 7.65% था, वह 2024 में बढ़कर 15.05% हो गया है। यह जानकारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर पटना चिड़ियाघर में आयोजित कार्यक्रम में दी।
डॉ. कुमार ने बताया कि सरकार का लक्ष्य 2028 तक हरित आवरण को 17% तक ले जाना है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव बिहार की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता और हरित नीतियों की सफलता को दर्शाता है।
जलवायु बदलाव की चुनौती से निपटने को सरकार प्रतिबद्ध
मंत्री ने कहा, “बदलती जैव विविधता का प्रभाव सीधे जलवायु पर पड़ता है, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग, भूमि क्षरण जैसे संकट बढ़ रहे हैं।” इसके समाधान के लिए आदिवासी और अनुसूचित जाति बहुल गांवों में 20-20 एकड़ जमीन पर फलदार वृक्ष लगाने की योजना तैयार की गई है।
आर्द्रभूमि और रामसर साइट्स को भी मिलेगा संरक्षण
पर्यावरण विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने बताया कि राज्य में 133 आर्द्रभूमियाँ हैं, जिनका क्षेत्रफल 100 एकड़ से अधिक है। रामसर साइट्स के अंतर्गत काँवर झील (बेगूसराय), नागी-नकटी (जमुई) प्रमुख हैं। अन्य संभावित साइट्स की पहचान और संरक्षण की प्रक्रिया जारी है।
सरकार द्वारा कॉमन एक्शन प्लान भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें सभी विभागों और सिविल सोसाइटी की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।
विद्यालयों के विद्यार्थियों को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम में राज्यभर के 1165 विद्यार्थियों को चित्रांकन और फोटोग्राफी प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार दिए गए। इस अवसर पर वन संरक्षक प्रधान प्रभात कुमार गुप्ता, सचिव एस. चन्द्रशेखर समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।