सूबे की सबसे बड़ी काली प्रतिमा जिले के नाथनगर प्रखंड के बहबलपुर में स्थापित होती है। 400 वर्षों से यहां 32 फिट की वामकाली स्थापित होती है। 32 फीट लंबी प्रतिमा का दर्शन करने पूरे बिहार से लोग आते हैं। 12 नवंबर को 12 बजे मां काली की प्रतिमा बेदी पर स्थापित की जाएगी। 12 बजे रात से सुबह सात बजे तक माता की विशेष पूजा होगी। बहवलपुर पूजा समिति के मेढ़पति अजय सिंह ने बताया कि पूरे बिहार भर में यह सबसे बड़ी प्रतिमा होती है।
शोभायात्रा में शामिल होते हैं क्षेत्र के सैकड़ों भक्त
करीब 35 फीट मां काली की विसर्जन शोभायात्रा में भी बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। शोभायात्रा में माता काली का दर्शन करने नाथनगर समेत जिले के आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग बायपास रास्ते में जुटते हैं। देर रात तक लोग सड़क पर खड़े रहते हैं। वाहन पर सवार होने के बाद मां का रूप ओर भव्य हो जाता है।
मेला का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं सैकड़ों श्रद्धालु वहीं पूजा के दौरान मंदिर प्रांगण में भव्य मेला का भी आयोजन किया जाता है। झूला, चाट पकोड़े की दुकान दो दिनों तक यहां सजती हैं। इसका लुत्फ जमकर लोग उठाते हैं।
बगीचे के बीच सजाया जाता है मां का दरबार
मां पीपल पेड़ के नीचे स्थापित हैं। जहां मां का पिंड स्थापित है, वहां चारों ओर आम का बगीचा है। बगीचा रहने के कारण यहां का माहौल भक्ति और शांति से परिपूर्ण है। पेड़ और बगीचे के बीच आसिन मां का दर्शन कर भक्तों का मन गदगद हो जाता है।
40 साल से प्रतिमा बना रहे रूदल गांव में स्थापित होने वाली बम काली की प्रतिमा का निर्माण गांव के ही रूदल सिंह वर्षों से करते आ रहे हैं। वे कहते हैं कि करीब 40 साल से लगातार वह प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं। प्रतिमा निर्माण के दौरान खास तौर पर ख्याल रखा जाता है।
गांव के काली सिंह के सपने में आई थीं मां
बहबलपुर काली मंदिर के मेढ़पति अजय कुमार सिंह ने बताया कि करीब 400 वर्ष पूर्व गांव के ही काली सिंह नाम के एक व्यक्ति को मां काली का स्वप्न आया था। मां काली ने उन्हें आदेश देते हुए कहा कि हमें पेड़ के नीचे स्थापित करो। सपने की बात को काली सिंह ने हल्के में लिया और गांव में बहने वाली गोड़ियानी नदी में स्नान करने गया। स्नान के बाद वे अचानक बेहोश हो गया। होश आने पर उसने गांव में काली को स्थान दिया। आरंभ से ही यहां भव्य 32 फिट की काली प्रतिमा स्थापित होती है। साज-सज्जा के साथ प्रतिमा 35 फीट लम्बी हो जाती है। गांव के प्रबुद्धजनों द्वारा कई बार मां काली का मंदिर बनाने का प्रयास किया। लेकिन जिनके द्वारा यह प्रयास शुरू कराया गया उनके साथ अनहोनी होना शुरू हो जाती है।
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