नई दिल्ली: बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस दौरान चुनाव आयोग (ECI) ने याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण के हलफनामे में दी गई जानकारी को गलत बताया। चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कोर्ट में कहा कि
“याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि ड्राफ्ट लिस्ट में जिन लोगों के नाम थे, वे फाइनल लिस्ट से गायब हैं और उन्हें कोई कारण नहीं बताया गया – यह जानकारी पूरी तरह गलत है।”
चुनाव आयोग की दलील: “नाम ड्राफ्ट लिस्ट में था ही नहीं”
राकेश द्विवेदी ने कहा कि जिस व्यक्ति का जिक्र प्रशांत भूषण ने अपने हलफनामे में किया है, वह व्यक्ति ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में था ही नहीं और उसने enumeration form (नामांकन फॉर्म) भी जमा नहीं किया था।
उन्होंने आगे कहा कि आयोग ने सभी मतदाताओं को उचित जानकारी दी है और किसी भी नाम को बिना प्रक्रिया पूरी किए नहीं हटाया गया।
अपील के लिए मांगा 5 दिन का समय
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि जिन मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से कट गया है,उन्हें अपील करने के लिए 5 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाए।
राकेश द्विवेदी ने कहा
“हम चाहते हैं कि कोर्ट यह आदेश दे कि जिन लोगों को अपनी वोटर लिस्ट में नाम हटने पर आपत्ति है, वे पांच दिन के भीतर अपील कर सकें। उसके बाद अपील करने का मौका न दिया जाए।”
सुप्रीम कोर्ट का सवाल और आदेश
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि
“जिन लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कटा है, वे सीधे लीगल सर्विस अथॉरिटी (Legal Services Authority) के पास क्यों नहीं जा रहे? वे याचिकाकर्ताओं के पास ही क्यों पहुंच रहे हैं?”
इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि
“जिन मतदाताओं का नाम फाइनल वोटर लिस्ट में नहीं है, वे अगर अपील करना चाहते हैं,
तो लीगल सर्विस अथॉरिटी के वॉलंटियर उनकी मदद करेंगे।”
3.66 लाख मतदाताओं के नाम फाइनल लिस्ट से गायब
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (SLSA) इस संबंध में एक हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दायर करे।
चुनाव आयोग के अनुसार, 3.66 लाख मतदाताओं के नाम फाइनल लिस्ट में शामिल नहीं हैं। आयोग का दावा है कि सभी को नाम कटने के कारणों की जानकारी दी गई,
जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ऐसी कोई सूचना मतदाताओं को नहीं दी गई।


