पटना: बिहार में न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने और अदालतों में लंबित मामलों की संख्या घटाने के लिए बिहार पुलिस एक बड़ी पहल कर रही है। राज्य भर के न्यायालयों में लंबित पड़े करीब 17 लाख मामलों के निपटारे के लिए अब कोर्ट नायब और कोर्ट प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी। इसका उद्देश्य स्पीडी ट्रायल को प्रभावी बनाना और अपराधियों को समय पर सजा दिलवाना है।
कोर्ट प्रभारी होंगे दारोगा या इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी
गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में एडीजी (सीआईडी) पारसनाथ और आईजी दलजीत सिंह ने बताया कि:
- कोर्ट प्रभारी— दारोगा या इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी होंगे।
- कोर्ट नायब— अनुभवी पुलिसकर्मियों में से चयनित किए जाएंगे।
- इनकी जिम्मेदारी होगी कि अदालतों द्वारा जारी सम्मन, वारंट, कुर्की, उद्घोषणा आदि आदेशों का समय पर निष्पादन सुनिश्चित करें।
इनकी प्रतिनियुक्ति जिले के एसपी द्वारा की जाएगी और यह संख्या गतिशील रहेगी यानी जरूरत के अनुसार बढ़ाई जा सकती है।
स्पीडी ट्रायल को मिलेगी रफ्तार, अब तक 52,314 अभियुक्तों को सजा
एडीजी पारसनाथ ने कहा कि अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और तेज मुकदमेबाजी पुलिस की प्राथमिकता है। जनवरी से मई 2025 के बीच:
- 38,071 केसों में
- 52,314 अभियुक्तों को अदालत से सजा मिली है।
इनमें शामिल हैं:
- आर्म्स एक्ट: 132 केस – 172 अभियुक्त
- हत्या: 207 केस – 508 अभियुक्त
- डकैती: 7 केस – 22 अभियुक्त
- अपहरण: 23 केस – 28 अभियुक्त
- बलात्कार: 81 केस – 92 अभियुक्त
- दहेज हत्या व उत्पीड़न: 39 केस – 60 अभियुक्त
- अन्य केस: 37,582 केस – 51,432 अभियुक्त
3 को फांसी, 489 को उम्रकैद
कोर्ट द्वारा अब तक दी गई प्रमुख सजाएं:
- 3 अभियुक्तों को फांसी
- 489 अभियुक्तों को उम्रकैद
- 246 को 10 वर्ष या उससे अधिक सजा
- 585 को 2–10 वर्ष की सजा
- 1,093 को 2 वर्ष तक की सजा
- 49,898 को जुर्माना या बंध-पत्र
साक्ष्य पेशी में भी तेज़ी, 70 हज़ार से अधिक गवाह कोर्ट में पेश
अभियोजन को मजबूत बनाने के लिए साक्ष्य पेशी में भी बड़ा सुधार देखा गया:
- 17,207 पुलिसकर्मी
- 3,318 डॉक्टर
- 49,515 आम गवाह
कोर्ट में उपस्थित होकर गवाही दे चुके हैं, जिससे मामलों के निपटारे में तेजी आई है।
न्याय प्रक्रिया में पुलिस की सक्रिय भूमिका
गृह विभाग (विशेष शाखा) की इस नई रणनीति से पुलिस और न्यायपालिका के बीच समन्वय बेहतर होगा। यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है, जहां लाखों केस वर्षों तक लंबित रहते हैं।