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पटना: उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मंगलवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली के कारण बिहार जैसे गैर-उद्योग आधारित राज्य को अब कर राजस्व का सीधा लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि पारदर्शी और डिजिटल व्यवस्था के चलते राज्य को प्रति वर्ष लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का फायदा हो रहा है।

जीएसटी दिवस पर अधिवेशन भवन में कार्यक्रम

उपमुख्यमंत्री अधिवेशन भवन में वाणिज्य कर विभाग द्वारा आयोजित जीएसटी दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 2017-18 में जहां बिहार का कर संग्रह 20 हजार करोड़ रुपये था, वहीं अब यह बढ़कर 41,623 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने इसे ईमानदार अधिकारियों की मेहनत और करदाताओं की भागीदारी का परिणाम बताया।

वाजपेयी से मोदी तक: जीएसटी की यात्रा

श्री चौधरी ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी, लेकिन बाद की सरकारें इसे लागू करने का साहस नहीं जुटा सकीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में इसे लागू कर देश को एक समान और आधुनिक कर व्यवस्था प्रदान की।

भामाशाह सम्मान योजना की शुरुआत

कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ने राज्य के प्रमुख करदाताओं को सम्मानित करते हुए भामाशाह सम्मान योजना की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि यह योजना ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रमुख करदाताओं का योगदान

उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार के उपक्रमों और निजी कंपनियों ने बड़ा कर योगदान दिया है:

  • इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन: ₹5,083 करोड़
  • भारत पेट्रोलियम: ₹2,572 करोड़
  • हिन्दुस्तान पेट्रोलियम: ₹1,885 करोड़
  • एनटीपीसी: ₹606 करोड़
  • अल्ट्राटेक सीमेंट: ₹303 करोड़
  • श्री सीमेंट: ₹255 करोड़

उपमुख्यमंत्री ने सीमेंट कंपनियों के योगदान को बिहार के औद्योगिक विकास का संकेत बताया।

नॉन-कॉरपोरेट करदाताओं को भी सम्मान

राज्य के 59 अंचलों से चयनित नॉन-कॉरपोरेट श्रेणी के तीन शीर्ष करदाताओं को भी उपमुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे करदाताओं की भागीदारी राज्य के राजस्व आधार को मजबूत कर रही है।