बिहार सरकार ने भूमि समस्याओं के समाधान हेतु कॉल सेंटर शुरू करने के लिए किया करार, हेल्पलाइन नंबर जारी

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पटना, 7 मई 2025:

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि से जुड़ी समस्याओं के समाधान और योजनाओं की जानकारी नागरिकों तक पहुँचाने के उद्देश्य से एक बड़ी पहल की है। इसके तहत विभाग और CSC ई-गवर्नेस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौते के अंतर्गत राज्य में एक हेल्पलाइन/कॉल सेंटर स्थापित किया जा रहा है, जिसका संचालन जून के प्रथम सप्ताह से शुरू होगा। इस हेल्पलाइन नंबर 1800-345-6215 पर नागरिक अपनी भूमि से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क कर सकेंगे।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया, “लोगों को ऑनलाइन सेवाओं में कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साइबर कैफे में आवेदन करते समय अक्सर रैयत का नंबर न देकर कैफे संचालक अपना नंबर दे देते हैं, जिससे रैयतों को जरूरी सूचनाएं नहीं मिल पातीं। हम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे अपने मोबाइल नंबर का ही उपयोग करें और दलालों से बचें।”

यह कॉल सेंटर प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जाएगा, जो विभागीय नीतियों, योजनाओं और नागरिकों की शिकायतों के समाधान में मदद करेंगे। CSC द्वारा यह सेवा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर दी जाएगी।

कॉल सेंटर के मुख्य उद्देश्य:

  • नागरिकों को भूमि संबंधी सेवाओं में आ रही समस्याओं का त्वरित समाधान देना
  • विभाग और नागरिकों के बीच संवाद को बेहतर बनाना
  • भूमि अभिलेख, भू-लगान, राजस्व विवादों और अन्य सेवाओं से संबंधित मामलों पर सहायता प्रदान करना
  • शिकायतों के समाधान हेतु एक पारदर्शी और विश्वसनीय प्लेटफार्म तैयार करना

विभाग के सचिव जय सिंह ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में विभाग की कार्यप्रणाली पूरी तरह डिजिटल हो चुकी है। अब जरूरत थी ऐसी संस्था की, जो ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुँचे। CSC के माध्यम से हम लोगों को अंचल स्तर पर सेवाएं उपलब्ध कराएंगे।”

CSC ई-गवर्नेस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के एमडी और सीईओ संजय कुमार राकेश ने कहा, “बिहार सरकार के साथ हमारी यह साझेदारी डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूती देगी और ग्रामीण जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पहुंचाने में सहायक होगी।”

यह पहल बिहार सरकार की पारदर्शी, उत्तरदायी और डिजिटल शासन व्यवस्था को और मजबूत करेगी, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ डिजिटल संसाधनों की पहुँच अब तक सीमित रही है।

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