पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) सभी 12 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को नोटिस जारी करेंगे।
यह नोटिस मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में उनकी प्रत्यक्ष जिम्मेदारी तय करने को लेकर भेजा जाएगा। नोटिस की प्रक्रिया रविवार से शुरू होगी।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश
- अदालत ने कहा है कि राजनीतिक दलों को मतदाता सूची में नाम जोड़ने और सुधार की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
- सभी दलों को अपने अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष या महासचिव स्तर पर जिम्मेदार बनाया जाएगा।
- सुनवाई के दौरान इन पदाधिकारियों की मौजूदगी अनिवार्य होगी और उन्हें कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
बीएलए की बड़ी जिम्मेदारी
- प्रत्येक दल अपने-अपने बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) के जरिए गांव, पंचायत, प्रखंड और विधानसभा स्तर पर काम करेगा।
- बीएलए मतदाताओं को दावा और आपत्ति दर्ज कराने में मदद करेंगे और जरूरी दस्तावेज संलग्न कराएंगे।
- राज्यभर में करीब 1.60 लाख बीएलए तैनात हैं। यदि हर बीएलए रोजाना 10 नामों की सूची जमा कराए, तो पांच दिनों में सभी नामों का सत्यापन संभव है।
बिहार विधानसभा चुनाव में डेढ़ लाख गाड़ियां होंगी तैनात, परिवहन विभाग ने शुरू की खोज
पटना। विधानसभा चुनाव को देखते हुए डेढ़ लाख से अधिक गाड़ियों का उपयोग किया जाएगा। परिवहन विभाग ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे जिलेवार गाड़ियों को चिह्नित कर लें।
चुनावी ड्यूटी के लिए वाहन प्रबंधन
- विभाग ने प्रत्येक जिले में एक वरीय अधिकारी के नेतृत्व में वाहन कोषांग (Vehicle Cell) बनाने का निर्देश दिया है।
- मतदान कर्मियों, अर्धसैनिक बल और पुलिस बलों की तैनाती व चुनावी सामग्री की ढुलाई के लिए बड़ी संख्या में गाड़ियों की जरूरत होगी।
- सरकारी वाहनों की सीमित संख्या को देखते हुए, निजी गाड़ियों की ऑनलाइन एंट्री डीईओएस पोर्टल पर व्हीकल मैनेजमेंट सिस्टम (VMS) के तहत की जाएगी।
आवश्यकता का आकलन
- जिलों में मौजूद मतदान केंद्र, सेक्टर-ज़ोन, अर्धसैनिक बल और पुलिस बल की तैनाती को ध्यान में रखकर गाड़ियों की जरूरत का आकलन होगा।
- अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने कहा कि समय रहते सभी वाहनों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।


