बिहार चुनाव 2025: लव-कुश समीकरण पर नीतीश का बड़ा दांव

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस बार पार्टी ने उम्मीदवार चयन में सोशल इंजीनियरिंग और जातीय संतुलन को प्राथमिकता दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पारंपरिक लव-कुश समीकरण को मजबूत करने की रणनीति पर काम किया है।

जदयू ने लव-कुश और धानुक समुदाय से कुल 23 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनमें लव-कुश वर्ग से 19 और धानुक समुदाय से चार उम्मीदवार शामिल हैं। इसके अलावा 13 सवर्ण, 12 दलित, 10 अतिपिछड़ा वर्ग (EBC) और 3 यादव उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है।


महिलाओं और सामाजिक प्रतिनिधित्व पर फोकस

पार्टी ने इस बार चार महिलाओं को टिकट दिया है — इनमें दो कुशवाहा, एक राजपूत और एक वैश्य समुदाय से हैं।
चार में से तीन महिलाएं पहली बार चुनावी मैदान में उतर रही हैं, जबकि अश्वमेघ देवी को दोबारा मौका मिला है।

हालांकि पिछली बार जदयू ने 10 महिलाओं को टिकट दिया था, इस बार संख्या कम हुई है, लेकिन पार्टी का फोकस नई और ऊर्जावान उम्मीदवारों पर है।

दलित वर्ग में रविदास, मुसहर, धोबी और पासवान समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया गया है, जिससे पार्टी ने सामाजिक विविधता का संदेश देने की कोशिश की है।


मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट नहीं

इस बार जदयू ने अल्पसंख्यक वर्ग से किसी भी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।
पिछले चुनाव में इन 57 सीटों पर तीन मुस्लिम उम्मीदवार उतारे गए थे, जिनमें एक महिला भी थीं, लेकिन कोई जीत दर्ज नहीं कर सका था।
इस बार पार्टी ने उन्हीं सीटों पर अतिपिछड़ा, भूमिहार और राजपूत उम्मीदवारों को मौका दिया है।


युवा और अनुभवी चेहरों का संतुलन

जदयू ने अपनी सूची में अनुभव और युवा ऊर्जा का मिश्रण रखा है।
जहां 80 वर्षीय हरिनारायण सिंह और 75 वर्षीय नरेन्द्र नारायण यादव जैसे अनुभवी नेता शामिल हैं, वहीं अतिरेक कुमार (कुशेश्वरस्थान), रूहेल रंजन (इस्लामपुर), अजय कुशवाहा (मीनापुर), कोमल सिंह (गायघाट) और राहुल सिंह (डुमरांव) जैसे युवा चेहरे भी मैदान में हैं।

सूची में 70% उम्मीदवार 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, जबकि बाकी युवा वर्ग से हैं।
पार्टी ने ऐसे उम्मीदवार चुने हैं जिनकी स्थानीय पकड़ मजबूत है और जिनकी छवि साफ-सुथरी मानी जाती है।


सामाजिक विविधता और व्यवसायिक पृष्ठभूमि

पार्टी ने इस बार जमीनी कार्यकर्ताओं और व्यवसायी वर्ग को भी प्रतिनिधित्व दिया है।
राधा चरण साह, रूहेल रंजन और कोमल सिंह व्यवसाय से जुड़े हैं, जबकि पुष्पंजय कुमार और राहुल सिंह पेशे से अधिवक्ता हैं।


जातीय संतुलन और नयी रणनीति

कुल मिलाकर, जदयू की यह पहली सूची जातीय संतुलन, अनुभव, युवाशक्ति और स्थानीय प्रभाव का संतुलित मिश्रण है।
इससे साफ है कि नीतीश कुमार की रणनीति अपने परंपरागत वोट बैंक को सुरक्षित रखते हुए नए सामाजिक समूहों को जोड़ने की है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जदयू का यह कदम लव-कुश समीकरण को और मजबूत करेगा तथा एनडीए में पार्टी की भूमिका को निर्णायक बना सकता है।


GridArt 20251016 092440227 scaled

WhatsApp Channel VOB का चैनल JOIN करें

Related Posts

बिहार में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तेज, अश्विनी चौबे ने सरकार को दी नसीहत—“पहले रैन बसेरा बनाइए, फिर गरीबों को हटाइए, अन्याय बर्दाश्त नहीं”

Continue reading