कैमूर/भभुआ, 2 दिसंबर 2025 भभुआ सदर अस्पताल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था और अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। चैनपुर थाना क्षेत्र के बबुरहन गांव निवासी मुकेश राम नामक युवक का एक ही दिन में दो बार पोस्टमार्टम किया गया। हैरानी की बात यह है कि मृतक के परिवार ने अस्पताल कर्मियों पर पोस्टमार्टम के लिए पैसे लेने का गंभीर आरोप लगाया है।
गौ-तस्करी के शक में पीछा, दुर्घटना में घायल होने के बाद हुई थी युवक की मौत
मोहनिया डीएसपी प्रदीप कुमार ने बताया कि मुकेश राम एक पिकअप वाहन पर अवैध रूप से मवेशी ले जा रहा था, जिसके बाद यूपी के सैयदराजा थाना पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया। पुलिस को शक था कि मामला गौ-तस्करी का है।
डर के कारण मुकेश वाहन लेकर भागने लगा, जिसके दौरान पिकअप दुर्घटनाग्रस्त हो गया। गंभीर रूप से घायल मुकेश किसी तरह वाहन से निकलकर बिहार सीमा में पहुंच गया।
उसे दुर्गावती थाना क्षेत्र के कर्मनाशा नदी के पास घायल अवस्था में स्थानीय लोगों ने देखा। सूचना मिलने पर पुलिस ने उसे भभुआ सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पहले किया गया पोस्टमार्टम, फिर पुलिस ने ‘भेस्रा’ (विशेष जांच) के लिए दोबारा करवाया परीक्षण
सिविल सर्जन भभुआ ने बताया कि मुकेश राम का पहला पोस्टमार्टम नियमानुसार कर दिया गया था। लेकिन बाद में जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और भेस्रा (विशेष चिकित्सा परीक्षण) की जरूरत बताते हुए पुलिस ने दोबारा पोस्टमार्टम की मांग की।
डॉक्टरों ने पुलिस की मांग पर शव का दूसरा पोस्टमार्टम किया। यही प्रक्रिया विवाद का कारण बन गई है।
परिवार का गंभीर आरोप—पोस्टमार्टम कर्मियों ने दो-दो हजार रुपये की मांग की
मृतक के परिवार ने आरोप लगाया कि—
- पहले पोस्टमार्टम के दौरान कर्मचारियों ने 2,000 रुपये मांगे
- दूसरे पोस्टमार्टम के लिए फिर से 2,000 रुपये की मांग की गई
- विरोध के बाद उसी 2,000 रुपये में दूसरा पोस्टमार्टम कर दिया गया
परिजन ने रोते हुए कहा कि “हम गरीब लोग हैं। पहली बार दो हजार रुपये दिए। दूसरी बार फिर पैसा मांगा गया। हंगामा करने पर पोस्टमार्टम किया गया।”
इन आरोपों ने अस्पताल स्टाफ की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जांच के आदेश, जिले में बना चर्चा का विषय
मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।
सबसे बड़ा सवाल जो उठ रहा है वो यह है—
- जब सरकार पोस्टमार्टम के लिए 500 रुपये निर्धारित करती है,
- तो फिर परिवार से 2,000–2,000 रुपये क्यों लिए गए?
- क्या यह लापरवाही है या पोस्टमार्टम कर्मियों की मनमानी?
अधिकारी अब पूरे मामले की जांच कर रहे हैं और दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है।
जिले में बढ़ी चर्चा, अस्पताल प्रशासन की साख पर लगा धब्बा
एक ही शव का दो बार पोस्टमार्टम और उस पर पैसे वसूलने के आरोप ने कैमूर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यह आरोप सही पाए गए तो यह आम जनता के साथ बड़ा अन्याय और सरकारी व्यवस्था की गंभीर विफलता है।


