
सुल्तानगंज/भागलपुर।विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले की आधिकारिक शुरुआत भले ही 11 जुलाई से होनी है, लेकिन बांग्ला सावन की पूर्णिमा (10 जुलाई) को बाबा बैजनाथधाम में जलार्पण की इच्छा लिए हजारों कांवरिए सुल्तानगंज में जुटने लगे हैं। सीढ़ी घाट और नमामि गंगे घाट पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी है, जिनमें बंगाल, असम, ओडिशा, नेपाल, और उत्तर प्रदेश के देवरिया व महाराजगंज से आए श्रद्धालु भी शामिल हैं।
अधूरी व्यवस्था, निजी संसाधनों पर निर्भर कांवरिया
कांवरियों ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अभी तक शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। कई श्रद्धालु निजी होटलों के ‘पे एंड यूज’ शौचालय और स्नानागार का उपयोग कर रहे हैं। कांवरिया पथ पर पर्यटन विभाग की कुछ रंगीन कुर्सियों ने जरूर थोड़ी राहत दी है, लेकिन धांधी बेलारी जैसे क्षेत्रों में अभी केवल रंगाई-पुताई का काम ही चल रहा है।
मेला सेल प्रभारी मिथिलेश सिंह ने जानकारी दी कि अगले दो दिनों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूरी कर ली जाएंगी।
पंडा, दुकानदार और फोटोग्राफरों के लिए पहचान पत्र निर्माण
श्रावणी मेले में पंडा समाज, दुकानदारों और फोटोग्राफरों के लिए पहचान पत्र निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नगर परिषद ने विभागीय स्तर पर कर्मी की प्रतिनियुक्ति कर दी है। पात्रों से चरित्र प्रमाण पत्र संलग्न कर आवेदन मांगे गए हैं, जिनका सत्यापन थाना स्तर पर कर पहचान पत्र जारी किया जाएगा।
मंत्री का निरीक्षण दौरा आज
पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन शनिवार को कच्ची कांवरिया पथ का निरीक्षण करेंगे। वह सुबह 6 बजे पटना से सड़क मार्ग द्वारा रवाना होकर 9:30 बजे सुल्तानगंज पहुंचेंगे। उनके साथ विभागीय अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। मंत्री विभाग द्वारा कराए जा रहे कार्यों का जायजा लेंगे और आवश्यकता अनुसार निर्देश भी देंगे।
मंदिर घाट व्यवस्था पर भी चर्चा
ध्वजागली स्थित श्रीराम मंदिर में पंडा समाज की एक अहम बैठक आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता बीडीओ संजीव कुमार व थानाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार ने की। बैठक में कांवरियों के सुगम आवागमन, मंदिर परिसर की व्यवस्थाएं और यजमानों की सुविधा को लेकर चर्चा की गई। प्रशासन ने तीर्थ पुरोहितों को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है।
संक्षेप में: श्रावणी मेले की तैयारी अभी भी अंतिम चरण में है, लेकिन कांवरियों का उत्साह चरम पर है। स्थानीय प्रशासन और विभागीय अधिकारियों के लिए यह अग्निपरीक्षा का समय है — श्रद्धालुओं की आस्था को सुविधाओं से जोड़ना ही उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।