
भागलपुर, 28 मई 2025 —बिजली से देश को रौशन करने वाला एनटीपीसी कहलगांव अब आसपास के हजारों लोगों के जीवन में अंधकार भर रहा है। राख के उड़ते गुबार ने हवा में ज़हर घोल दिया है। हालात इतने गंभीर हैं कि लोगों का सांस लेना भी दूभर हो गया है, और रोजमर्रा की जिंदगी राख के ढेर में सिसक रही है।
राख बांध से उड़ने वाली राख ने छीनी चैन की नींद
एनटीपीसी द्वारा एकचारी और भोलसर पंचायत में बनाए गए राख डैम से गर्मियों में जब तेज हवा चलती है, तो बड़ी मात्रा में राख उड़कर घरों, खेतों, सड़कों और नदी तक जा पहुंचती है। घर की बर्तनों, पीने के पानी और खाने तक में राख जम रही है, जिससे ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो गया है।
घर में बिस्तर से लेकर थाली तक राख से सनी
स्थानीय निवासी सीता देवी बताती हैं:
“रात को सोते हैं, तो सुबह आंख खोलना मुश्किल हो जाता है। आंखों पर राख की परतें जम जाती हैं। जो खाना बनाते हैं उसमें भी राख गिर जाती है। घर बंद कर के रहना पड़ता है।”
आरती कुमारी ने बताया कि उन्होंने एनटीपीसी को 12 बीघा ज़मीन दी, लेकिन अब बची-खुची जमीन भी राख ने बर्बाद कर दी है।
“दिन में चार बार झाड़ू लगाते हैं, फिर भी राख साफ नहीं होती। बच्चों को खुले में नहीं छोड़ सकते। कोई स्वास्थ्य शिविर भी नहीं लगता।”
फसल बर्बादी, पानी ज़हरीला, मछलियों की मौत
राख की मात्रा और जहरीले प्रभाव से कौआ नदी भी अब प्रदूषित हो चुकी है, जिससे सिंचाई और मवेशियों के पीने के पानी पर संकट गहराया है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार नदी की मछलियां मरी पाई गई हैं, और फसलें सूख गईं।
15 साल से लगातार प्रदूषण, कैंसर और टीबी के केस बढ़े
स्थानीय निवासी संजू देवी, सावित्री देवी, उमा देवी और डेविड हैस ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से इलाके में टीबी, कैंसर, त्वचा रोग और सांस की बीमारियों में भारी वृद्धि हुई है।
“अब तो लगता है घर छोड़ कर भागना पड़ेगा। किसी को कोई सुविधा नहीं दी गई। एनटीपीसी बस वादे करती है, काम कुछ नहीं।” – उमा देवी
प्रशासनिक जवाब और जिम्मेदारी
भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने ज़ी मीडिया से बात करते हुए स्वीकारा कि राख की समस्या गंभीर है। उन्होंने बताया:
“एनटीपीसी को निर्देश दिए गए हैं कि राख डैम क्षेत्र में नियमित रूप से पानी का छिड़काव करें, राख परिवहन के लिए बंद गाड़ियों का उपयोग करें और तेज आवाज़ में उड़ान को रोकें।”
लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
❗ बड़े सवाल जो उठते हैं:
- क्या NTPC केवल बिजली बना रहा है या ज़हर भी फैला रहा है?
- क्यों नहीं लिए जा रहे प्रदूषण नियंत्रण उपाय?
- कहां हैं पर्यावरण विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीमें?
- स्थानीय जनता की भूमि लेकर, बदले में बीमारियां देना क्या न्याय है?