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पटना, 13 जून।बिहार सरकार की योजनाएं अब ग्रामीण जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जल संरक्षण के साथ आजीविका संवर्धन को नई दिशा देने वाली योजनाओं ने खास पहचान बनाई है। गांवों में बने अमृत सरोवर अब सिर्फ जलाशय नहीं, बल्कि रोजगार और सामुदायिक गतिविधियों के केंद्र बन चुके हैं।

पानी भी, रोजगार भी
राज्य सरकार जीविका दीदियों को प्रतिवर्ष 5,000 रुपये की सहायता दे रही है, ताकि वे अमृत सरोवरों में मछली पालन कर अपनी आजीविका बेहतर बना सकें। इससे गांव की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है। 15वें वित्त आयोग की टाइड फंड की 30% राशि से इन सरोवरों का निर्माण ग्राम पंचायतों में पंचायत प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों की निगरानी में कराया गया है। प्रत्येक सरोवर का क्षेत्रफल 2 एकड़ 30 डिसमिल निर्धारित किया गया है।

जलसंचय, रोजगार और मनोरंजन का केंद्र
सरकार ने सरोवरों के चारों ओर मियावाकी पद्धति से बरगद और पीपल के छायादार पौधे भी लगवाए हैं। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिल रहा है, बल्कि ग्रामीणों के लिए गर्मी में राहत और शाम के समय मनोरंजन का स्थल भी तैयार हुआ है। अब तक 2,613 अमृत सरोवर विकसित किए जा चुके हैं। इसकी जानकारी भारत सरकार के पोर्टल https://amritsarovar.gov.in पर भी उपलब्ध है।

जल संकट से राहत और जल-जीवन-हरियाली को बढ़ावा
गांवों को स्वच्छ जल संकट से बचाने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 25,262 सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार और 18,526 सोख्ता निर्माण कार्य पूरे किए जा चुके हैं। भवन निर्माण विभाग ने वर्षाजल संचयन के लिए दो मॉडल प्राक्कलन भी जारी किए हैं।

इसके तहत ‘सैंडी सॉयल’ वाले इलाकों के लिए 65,600 रुपये और अन्य क्षेत्रों के लिए 95,000 रुपये की लागत से वर्षाजल संचयन संरचना का निर्माण अनिवार्य किया गया है। बिना इसका प्रावधान किए किसी भी भवन प्राक्कलन को विभागीय स्वीकृति नहीं दी जा रही है।

ग्राम विकास योजनाओं में भी जल संरक्षण को प्राथमिकता
जिन पंचायत भवनों में अभी वर्षाजल संचयन की व्यवस्था नहीं है, उनके लिए ग्राम पंचायत विकास योजना, प्रखंड पंचायत विकास योजना और जिला पंचायत योजना के तहत नई योजनाएं बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

यह पहल न सिर्फ जलसंकट से निपटने की दिशा में मजबूत कदम है, बल्कि ग्राम स्तर पर जल संरक्षण की संस्कृति को भी मजबूत कर रही है। पंचायती राज विभाग का यह अभियान जल-जीवन-हरियाली अभियान को जमीन पर सफलतापूर्वक उतारने का सशक्त उदाहरण बन चुका है।