
पटना।बिहार में मछली उत्पादन के क्षेत्र में बीते दो दशकों में जबरदस्त प्रगति दर्ज की गई है। राज्य सरकार के कृषि रोड मैप और मछली पालन को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं ने इस बदलाव की बड़ी भूमिका निभाई है। 2005 से पहले जहां मछली उत्पादन महज 2.68 लाख मीट्रिक टन था, वहीं अब यह बढ़कर 8.73 लाख मीट्रिक टन (2023-24) पर पहुंच गया है।
प्रति व्यक्ति उपलब्धता में भी वृद्धि
राज्य में प्रति व्यक्ति 6.64 किलोग्राम मछली प्रति वर्ष की उपलब्धता हो गई है। बीते वर्ष 5.93 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था। नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए 61.81 लाख मछली के जीरे का गंगा और उसकी सहायक नदियों में संचयन किया गया।
योजनाओं से बढ़ा उत्पादन और रोजगार
राज्य सरकार की मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना, जलाशय मत्स्यिकी विकास योजना, निजी तालाबों का जीर्णोद्धार, नदी पुनर्स्थापन कार्यक्रम और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना जैसी योजनाओं ने मछली उत्पादन को रफ्तार दी है।
मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना के तहत अब तक 461 हेक्टेयर चौर भूमि मछली पालन के लिए विकसित की गई है।
नई तकनीक से मछली पालन
राज्य में अब तक 439 बायोफ्लॉक इकाइयां और 15 आरएएस (री-सर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम) इकाइयां स्थापित की गई हैं। साथ ही, गंगा, गंडक, बूढ़ी गंडक जैसी नदियों में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर मछली के जीरे का संचयन किया जा रहा है।
प्रखंड स्तर पर बनेंगे मछली बाजार
राज्य सरकार ने मछली उत्पादकों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए भी पहल की है। मुख्यमंत्री मत्स्य विपणन योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में चिन्हित प्रखंडों में 30-30 मत्स्य बाजार बनाए जा रहे हैं।
रोजगार और खुशहाली की कहानियां
ज्योत्सना सिंह, समस्तीपुर
समस्तीपुर के शिवाजीनगर प्रखंड की ज्योत्सना सिंह ने 15 लाख रुपये अनुदान लेकर मत्स्य बीज हैचरी की स्थापना की। आज वे 20 लोगों को रोजगार दे रही हैं और मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।
संजय सहनी, समस्तीपुर
इसी प्रखंड के कोची गांव निवासी संजय सहनी ने मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना का लाभ लेकर सालाना 15 टन मछली उत्पादन शुरू किया। इससे उनकी सालाना आय 12-15 लाख रुपये तक पहुंच गई। अब दो अन्य किसान भी इस व्यवसाय से जुड़ चुके हैं, जिनकी आमदनी 15-20 लाख रुपये तक हो रही है।
लक्ष्मी सहनी और समूह, सरायगंज
सरायगंज प्रखंड के डुबैला चौर में लक्ष्मी सहनी, शीला देवी, प्रमोद कुमार सहनी, रानी कुमारी और सीती देवी ने मिलकर 8 हेक्टेयर चौर भूमि पर मछली पालन शुरू किया। वे हर साल 10-15 टन मछली उत्पादन कर 13-18 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं।
बिहार में मछली पालन अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ उद्योग बन गया है। सरकार की योजनाओं और तकनीकी प्रोत्साहन ने हजारों परिवारों की जिंदगी बदल दी है। कृषि रोड मैप और इन योजनाओं का असर अब साफ दिखने लगा है — उत्पादन बढ़ा है, रोजगार के अवसर बढ़े हैं और ग्रामीण इलाकों में खुशहाली आई है।