भाजपा के बाद जेडीयू ने भी नहीं दिया किसी मुस्लिम को टिकट, चुनावी रणनीति पर उठे सवाल

पटना | 14 अक्टूबर 2025 बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 57 प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं, जिनमें चार महिलाएं हैं, लेकिन एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया गया है।

दरअसल, भारी सियासी हलचल के बीच एनडीए गठबंधन के सभी दलों ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करना शुरू कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले ही 71 प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है, जिसमें भी कोई मुस्लिम नाम शामिल नहीं था। अब जेडीयू की पहली लिस्ट में भी यही स्थिति देखने को मिली है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जेडीयू का यह रुख भाजपा की लाइन से मेल खाता दिख रहा है, और इससे संकेत मिलते हैं कि पार्टी का मुस्लिम वोट बैंक से भरोसा धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। हालांकि, अभी जेडीयू की पूरी सूची जारी नहीं हुई है, ऐसे में आने वाली लिस्ट में मुस्लिम चेहरों को जगह मिलने की संभावना बनी हुई है।

पिछले विधानसभा चुनावों में जेडीयू ने 115 उम्मीदवारों की सूची में 11 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था, लेकिन उनमें से कोई भी जीत हासिल नहीं कर सका था। वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने किशनगंज से मुजाहिद आलम को मैदान में उतारा था, जिन्हें कांग्रेस उम्मीदवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

इसके अलावा, समाजवादी पार्टी से जीते जमा खान को बाद में जेडीयू में शामिल कराया गया था और उन्हें राज्य मंत्री भी बनाया गया था। अब 2025 के चुनाव के लिए जारी पहली लिस्ट में मुस्लिम उम्मीदवारों की गैरमौजूदगी ने सियासी हलचल तेज कर दी है।

गौरतलब है कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद जेडीयू अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने मुजफ्फरपुर में कहा था कि “अल्पसंख्यक समुदाय के लोग नीतीश कुमार को वोट नहीं देते, बावजूद इसके मुख्यमंत्री उनके लिए लगातार काम करते हैं।” वहीं, सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने चुनाव जीतने के बाद कहा था कि “अब वे यादव और मुस्लिम समुदाय के लिए काम नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने वोट नहीं दिया।”

इन बयानों के बाद से यह चर्चा तेज है कि क्या नीतीश कुमार का मुस्लिम समुदाय से मोहभंग हो गया है। वक्फ बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति ने भी इस अटकल को हवा दी थी। हालांकि, चुनावी माहौल में नीतीश कुमार ने कई मुस्लिम समुदाय से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होकर इन चर्चाओं को शांत करने की कोशिश की थी।

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