पटना, 05 अक्टूबर 2025: 26 साल पुराना शिल्पी जैन–गौतम सिंह रेप और हत्या मामला फिर से सुर्खियों में है। मामला सिर्फ अपराध का नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति और चुनावी गलियारों में आरोप–प्रत्यारोप की नई लाइन खींचने वाला बन गया है।
29 सितंबर को पटना में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी (उर्फ राकेश कुमार) इस हाईप्रोफाइल डबल मर्डर केस में संदिग्ध थे। उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
इस पर सम्राट चौधरी ने जवाब देते हुए कहा कि जिस राकेश की बात प्रशांत किशोर कर रहे हैं, वह तो आइसक्रीम बेचने वाला हाजीपुर का युवक था और उसका इस केस से कोई संबंध नहीं था।
1999 का मामला: शिल्पी और गौतम की हत्या
यह मामला 1999 का है, जब पटना में मॉडल बनने की इच्छा रखने वाली शिल्पी जैन और राजद के युवा विंग से जुड़े गौतम सिंह की हत्या हुई। शिल्पी पटना वीमेंस कॉलेज की छात्रा थीं और मिस पटना भी रह चुकी थीं। गौतम सिंह एक NRI डॉक्टर के इकलौते बेटे थे।
- 2 जुलाई 1999 को शिल्पी अपने कोचिंग के लिए घर से निकली।
- रास्ता बदलकर उसे वाल्मी गेस्ट हाउस ले जाया गया।
- वहाँ पहले से मौजूद नहीं होने के बावजूद उसे झांसा देकर लाया गया।
- गौतम जब वहाँ पहुँचे, तब तक शिल्पी के साथ रेप हो चुका था और मारपीट भी हो चुकी थी।
शव की बरामदगी और जांच
- शिल्पी और गौतम की लाश साउथ गांधी मैदान स्थित सरकारी MLC हाउस गैरेज में मिली।
- शुरुआती रिपोर्ट में मौत को सुसाइड या कार्बन मोनोऑक्साइड की वजह बताया गया।
- बाद में CBI ने फोरेंसिक जांच कराई। हैदराबाद स्थित CFSL ने कपड़ों पर एक से अधिक व्यक्ति के स्पर्म होने के सबूत दिए।
- साधु यादव से DNA टेस्ट कराने का अनुरोध किया गया, जिसे उन्होंने मना कर दिया।
सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में 2003 में दावा किया गया कि दोनों ने जहर खाकर आत्महत्या की।
केस में जांच की कमियां
सीनियर जर्नलिस्ट रमाशंकर मिश्रा के अनुसार:
- पटना पुलिस ने शुरुआती जांच में गड़बड़ी की; कार और उसके स्टेयरिंग की जांच FSL टीम से कराई होती तो फिंगरप्रिंट्स मिल सकते थे।
- CBI ने हैदराबाद की फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद भी सही दिशा में जांच नहीं की।
इन दोनों गलतियों के कारण केस का रुख बदल गया और परिवार को न्याय नहीं मिल पाया।
परिवार पर सालों का डर
- शिल्पी की हत्या के बाद परिवार टूट गया।
- 2004 में CBI की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देने की तैयारी थी।
- शिल्पी के भाई को 2006 में किडनैप किया गया और दो दिन बाद छोड़ा गया।
- इन घटनाओं के कारण परिवार ने केस में आगे कदम नहीं बढ़ाए।
सीनियर जर्नलिस्ट बताते हैं कि परिवार अब भी डर में है और दोषियों को सजा दिलाने की उम्मीद जिंदा है।
यह मामला न सिर्फ अपराध और न्याय का है, बल्कि बिहार की राजनीति और सत्ता संघर्ष में भी अब तक एक संवेदनशील और विवादास्पद अध्याय बना हुआ है।