बेंगलुरु में 5 से 7 दिसंबर तक चली प्रतियोगिता, गांव मदरौनी में जश्न का माहौल
हाइलाइट्स
- मदरौनी गांव की कुमारी आस्था 69वीं नेशनल स्कूल गेम शतरंज प्रतियोगिता में शामिल
- शून्य रेटिंग होने के बावजूद रेटेड खिलाड़ियों को दी कड़ी टक्कर
- दिल्ली रीजनल में 2023-24 में सिल्वर और 2025 में गोल्ड मेडल
- केंद्रीय विद्यालय संगठन दिल्ली रीजन से हुआ चयन
- सेना से सेवानिवृत्त पिता कंचन कुमार व माता साक्षी की खुशी का ठिकाना नहीं
भागलपुर/रंगरा।भागलपुर जिले के रंगरा प्रखंड के मदरौनी गांव की प्रतिभाशाली बेटी कुमारी आस्था ने एक बार फिर जिले का मान बढ़ाया है। पूर्व सैनिक कंचन सिंह की पुत्री आस्था 05 से 07 दिसंबर तक बेंगलुरु में आयोजित 69वीं राष्ट्रीय स्कूल गेम्स शतरंज प्रतियोगिता 2025 में शामिल हुईं। उनके चयन से गांव में खुशी और गर्व की लहर दौड़ गई है।
दिल्ली रीजनल में लगातार मेडल, नेशनल में भी दिखाया दम
दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित पी.एम. केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 12 की छात्रा आस्था पिछले तीन सालों से लगातार शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।
- 2023 – सिल्वर मेडल
- 2024 – सिल्वर मेडल
- 2025 – गोल्ड मेडल
इन उपलब्धियों की बदौलत उन्होंने 15 से 19 सितंबर 2025 तक हुई नेशनल शतरंज प्रतियोगिता में भी अपनी जगह बनाई थी।
शून्य रेटिंग पर भी दिखाया टैलेंट, चौथा स्थान हासिल
आस्था की खास बात यह है कि उनकी शतरंज रेटिंग अभी शून्य है, बावजूद इसके उन्होंने प्रतियोगिता में कई रेटेड खिलाड़ियों को कड़ी चुनौती देते हुए चौथा स्थान हासिल किया।
इसी प्रदर्शन के आधार पर उन्हें केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) दिल्ली रीजन से 69वीं राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में चयन मिला।
“बचपन में भाई के साथ खेलते-खेलते बनी चेस प्लेयर” – माता-पिता
भारतीय थल सेना की ईएमई कोर से सेवानिवृत्त पिता कंचन कुमार और मां साक्षी ने बताया कि बचपन में आस्था अपने भाई आर्यन के साथ घर में शतरंज खेला करती थी। उसी दौरान उसमें इस खेल के प्रति रुचि बढ़ती गई और आज वह स्वप्रेरित होकर अपने विद्यालय व गांव का नाम रोशन कर रही है।
गांव में हर्ष का माहौल, आस्था से गोल्ड की उम्मीद
मदरौनी गांव में आस्था के चयन की खबर फैलते ही ग्रामीणों में उत्साह का माहौल है। लोग कहते हैं—
“अब आस्था गोल्ड मेडल लाएगी और जिले का नाम रोशन करेगी।”
घर में हमेशा रहा शतरंज का माहौल: भाजपा नेता डॉ. रोशन सिंह
आस्था के चचेरे भाई व भाजपा नेता डॉ. रोशन सिंह बताते हैं,
“कोशी कटाव से पहले हमारे दरवाजे पर दिन भर ग्रामीण शतरंज खेला करते थे। तब वह टाइम पास था, लेकिन घर में माहौल हमेशा से शतरंज वाला रहा है। आज आस्था परिवार, गांव और जिले का नाम ऊंचा कर रही है।”
जिले की नई चेस स्टार बनकर उभर रहीं आस्था
लगातार उपलब्धियां बता रही हैं कि आस्था भविष्य में बड़ी शतरंज खिलाड़ी बनने की क्षमता रखती हैं। शून्य रेटिंग के बावजूद उनका आत्मविश्वास और प्रदर्शन विशेषज्ञों को भी प्रभावित कर रहा है।


