अभी तक आपने इंसान या पालतू पशु पक्षियों का अंतिम संस्कार करने के बारे में देखा या सुना होगा, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ होगा कि पेड़-पौधों का की अर्थी जुलूस निकाली गई हो. भागलपुर में सैकड़ों पेड़ को काट दिया गया, जिसके बाद बागान मालिक ने श्मसान घाट पर हिन्दू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया.
असामाजिक तत्वों ने काटे सैकड़ों पेड़-पौधे:
दरअसल जिले के पीरपैंती प्रखंड के मोहनपुर गांव के निवासी किसान ओमप्रकाश जायसवाल के बागान में लगे आम, लीची, महोगनी, सागवान, टमाटर सहित 700 पेड़-पौधों को असामाजिक तत्वों ने काट कर नष्ट कर दिया था. साथ ही किसान के बागान में बासा में भी आग लगा दी थी. यह घटना 21 दिसंबर की रात हुई थी.
पेड़-पौधों की निकाली गई अर्थी जुलूस:
किसान ओमप्रकाश जायसवाल के पुत्र अरुण कुमार जायसवाल पेड़-पौधे से काफी प्यार करते थे. उनका अपने परिवार के सदस्यों की तरह देखभाल करते थे. यही वजह है कि जब असामाजिक तत्वों ने पेड़ पौधों को काटकर नष्ट कर दिया तो उन्हें काफी दुख पहुंचा. उन्होंने पेड़ पौधे को काटने पर दुख प्रकट किया और इसे हत्या मानकर पेड़-पौधों की हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पारंपरिक तरीके से अंतिम यात्रा निकालकर गंगा में प्रवाहित किया.
गंगा में प्रवाहित किए गए पेड़:
इस अंतिम यात्रा में गांव के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. बता दें कि शव यात्रा बागान के मालिक के घर से गाजेबाजे के साथ और निर्गुण गाते हुए चौक चौराहे पर पंच परिक्रमा करते हुए गंगा घाट पहुंची. वहां पर मंत्रोच्चारण के साथ कटे हुए पेड़ पौधों को गंगा में प्रवाहित किया गया.
पेड़-पौधों को नहलाकर, सजाकर यात्रा निकाली:
अंतिम यात्रा निकालने से पहले बागान मालिक अरुण कुमार जायसवाल ने अपने घर पर बांस मंगा कर अर्थी बनाया. उसे फूल पत्ती व रंगीन कागज से सजाया. फिर कटे हुए पेड़ पौधों को नहलाया और राम नाम लिखे कफन को उड़ाकर चार लोगों ने उन्हें कंधा दिया और अंतिम यात्रा पर निकल गए. इस दौरान गांव के लोगों ने भी जगह-जगह पर कंधा दिया. अंतिम यात्रा में शामिल होकर सभी मोहनपुर गंगा घाट पहुंचे, जहां अंतिम संस्कार किया गया.
“जब हमारे पूर्वज गया भगत ने इसी तरह का बागान लगाया था तो उस दौरान भी असामाजिक तत्वों ने पेड़ पौधों को काटकर उनकी हत्या की थी. इसके बाद हमारे दादा गया भगत ने अर्थी निकालकर हिंदू रीति रिवाज के साथ पेड़-पौधों का अंतिम संस्कार किया था.“-अरुण कुमार जायसवाल, बागान मालिक
22 दिसंबर को मामला दर्ज:
पीड़ित किसान ने 22 दिसंबर को एकचारी दियारा थाना में गांव के ही वकील मंडल, प्रकाश मंडल, भवंतु मंडल और सुखड़ा मंडल पर पेड़ों को काटने और बासा में आग लगाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी. लेकिन पुलिस ने अब तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है.
बटाईदार ने कही ये बात:
बागान के बटाईदार गोपी मंडल ने बताया कि हम पूरी मेहनत और शिद्दत से परिवार के साथ बागन में लगे सभी पेड़ पौधों का परिवार के सदस्यों के तरह देखरेख करते थे. जिस दिन सभी पेड़ पौधों को असामाजिक तत्वों द्वारा नष्ट किया गया, उस दिन मुझे खाना खाने का मन नहीं किया. ऐसा लग रहा था कि हमारे बीच से एक परिवार का अहम सदस्य चला गया है.
‘परंपरा बरकरार रखने की कोशिश’ :
अरुण जायसवाल की पत्नी शालिनी कुमारी ने बताया कि हम लोगों के लिए पेड़ पौधा परिवार के सदस्य की तरह था. हमारे पूर्वजों ने भी इसी तरह से अंतिम संस्कार किया था. उसी परंपरा को बरकरार रखा है और अंतिम यात्रा निकाला है.
“अंतिम यात्रा के दौरान पुरुष सदस्यों का जो काम था उन्होंने किया और स्त्री सदस्यों का जो काम था वह हमने ने किया. पेड़ पौधा हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी है. उसके बिना जीवन जीना संभव नहीं है. इसलिए पेड़ पौधों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए. असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई होनी चाहिए.”– शालिनी कुमारी, बागान मालकिन
ग्रामीण ने क्या कहा:
ग्रामीण उत्तम ने बताया कि पेड़-पौधों में भी चेतना होती है, लेकिन उनमें मस्तिष्क, हृदय और आत्मा नहीं होती. हम पर्यावरण संरक्षण के साथ भविष्य के लिए पौधे लगा रहे हैं.
“असामाजिक तत्व इन्हें काटकर नष्ट कर दे रहे हैं. पुलिस ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. इससे इलाके के किसानों में आक्रोश है.“- उत्तम, ग्रामीण
क्यों काटे गए पेड़-पौधे:
इलाके के वैसे किसान जो दूसरे राज्य या जिलों में नौकरी करते हैं और परिवार के साथ बाहर रहते हैं, वे लोग अपने खेतों में पौधे लगाते हैं. इसकी देखरेख की जिम्मेदारी गांव के ही किसी व्यक्ति को दे देते हैं. अपराधी यह सोचते हैं कि इससे किसानों की जमीन सुरक्षित हो जाएगी. पहले अपराधी ऐसे किसानों से जमीन कम कीमत में खरीदने का प्रयास करते हैं. इनकार करने पर वे पेड़ों को काट देते हैं. पीड़ित ओमप्रकाश भी कहलगांव में नौकरी करते हैं और वहीं परिवार के साथ रहते है.
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.