रूपौली हॉट सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला: कौन मारेगा बाजी? जानिए पूरा चुनावी समीकरण

पटना/पूर्णिया: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में रूपौली सीट इस बार सबसे ज्यादा चर्चा में है। पहले चरण की रिकॉर्ड वोटिंग के बाद अब 11 नवंबर को दूसरे चरण में इस सीट पर मतदान होना है।

तीन बड़े उम्मीदवारों की मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है, और समीकरण इतना पेचीदा हो चुका है कि नतीजा किसके पक्ष में जाएगा—यह कहना मुश्किल है।

पिछला चुनाव: निर्दलीय शंकर सिंह ने सबको चौंकाया था

2024 के उपचुनाव में रूपौली सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ था।
परिणाम रहे—

  • शंकर सिंह (निर्दलीय) — 67,782 वोट (विजेता)
  • कलाधर मंडल (JDU) — 59,578 वोट (दूसरे स्थान)
  • बीमा भारती (RJD) — 30,108 वोट (तीसरे स्थान)

शंकर सिंह ने 8,204 वोटों से जीत हासिल कर सभी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया था।
जीत के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन भी कर दिया था।

2025 में कौन-कौन मैदान में?

इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प है—

  • JDU: कलाधर मंडल
  • RJD: बीमा भारती
  • निर्दलीय: शंकर सिंह

शंकर सिंह के फिर से मैदान में उतरने से समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं।
JDU और RJD दोनों को उनसे सीधा नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।

रूपौली का सामाजिक गणित

रूपौली सीट का चुनाव पूरी तरह जातीय समीकरणों पर निर्भर रहता है। यहाँ—

  1. गंगोता समाज — 75,000 वोटर (सबसे अहम)
  2. मुस्लिम वोटर — 37,000
  3. यादव वोटर — आरजेडी का परंपरागत आधार
  4. ब्राह्मण, राजपूत, पचपनिया
  5. अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदाय के हजारों वोटर मौजूद हैं।

किसे मिल सकता है कौन सा वोट?

🔹 गंगोता वोट

सबसे निर्णायक—

  • ये वोट कलाधर मंडल (JDU) और बीमा भारती (RJD) में बंटता दिख रहा है।
  • शंकर सिंह भी इसी समाज से आते हैं, इसलिए तिहरा विभाजन संभव।

🔹 मुस्लिम वोट

यह वोट बैंक इस बार सबसे उलझा हुआ है—

  • पारंपरिक रूप से RJD का समर्थन
  • लेकिन शंकर सिंह के स्थानीय प्रभाव से मतों का बँटवारा तय माना जा रहा है।

🔹 यादव वोट

यह वोट RJD उम्मीदवार बीमा भारती के साथ मजबूती से जुड़ा दिख रहा है।

🔹 पचपनिया, दलित और आदिवासी वोटर

ये वोटर अब किंगमेकर साबित हो सकते हैं।
माना जा रहा है कि रुके हुए और अनिश्चित वोट इन्हीं समुदायों के हैं, जो आखिरी समय में परिणाम तय करेंगे।

मुकाबला क्यों है त्रिकोणीय?

  • JDU और RJD दोनों की मजबूत दावेदारी
  • शंकर सिंह की व्यक्तिगत पकड़ और उपचुनाव की जीत
  • जातिगत विभाजन बेहद उच्च स्तर पर
  • तीनों उम्मीदवारों के अपने-अपने कोर वोटर

यही वजह है कि रूपौली सीट को इस बार सबसे पेचीदा और रोमांचक मुकाबलों में गिना जा रहा है।

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