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भारत को टीबी-मुक्त बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य को गति देने के उद्देश्य से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज संसद भवन ऐनेक्सी में बिहार के सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। यह संवाद ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ के तहत जारी व्यापक पहल का हिस्सा है। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के सांसदों से भी इसी विषय पर चर्चा कर चुके हैं।

बैठक में बिहार के सांसदों ने सर्वसम्मति से टीबी उन्मूलन के राष्ट्रीय संकल्प को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई और इसे जन-आधारित आंदोलन में बदलने की दिशा में सक्रिय सहयोग का आश्वासन दिया।

विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों और बिहार के सांसदों की उपस्थिति

इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल रहे—

  • श्री गिरिराज सिंह — केंद्रीय वस्त्र मंत्री
  • श्री राजीव रंजन सिंह — केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री
  • श्री राम नाथ ठाकुर — केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री
  • डॉ. राज भूषण चौधरी — केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री
  • श्री सतीश चंद्र दुबे — केंद्रीय कोयला एवं खनन राज्य मंत्री

इसके अलावा बिहार के कई लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों ने भी बैठक में सक्रिय भागीदारी की।

भारत में टीबी उन्मूलन की प्रगति — वैश्विक औसत से बेहतर प्रदर्शन

सांसदों को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने बताया कि—

  • भारत में 2015 से 2024 के बीच टीबी मामलों में 21% की कमी दर्ज की गई है
  • यह गिरावट वैश्विक औसत के लगभग दोगुनी है
  • देश में टीबी उपचार सफलता दर 90% तक पहुँच चुकी है, जो विश्व औसत से कहीं अधिक है

उन्होंने कहा कि बिहार में स्क्रीनिंग, सामुदायिक पहुंच और मरीज सहायता से जुड़े कार्यों में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। यह राज्य भारत की टीबी उन्मूलन प्रगति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

जन-आंदोलन बनाने की अपील — सांसदों से मांगा नेतृत्व

श्री नड्डा ने सांसदों से आग्रह किया कि वे टीबी उन्मूलन अभियान को जन-आंदोलन बनाने में नेतृत्व दें। उन्होंने कहा कि सांसद अपने क्षेत्रों में—

सांसदों को दिए गए प्रमुख निर्देश:

  • टीबी से जुड़े भ्रम और कलंक को दूर करने में मदद करें
  • नि-क्षय शिविरों और समुदाय आधारित स्क्रीनिंग को बढ़ावा दें
  • जिला एवं अनुमंडल स्तर पर टीबी सेवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी रखें
  • समुदायों को जोड़कर नि-क्षय मित्र तैयार करें, जो पोषण, मानसिक समर्थन और पुनर्वास में मरीजों की मदद करें

उन्होंने कहा—

“टीबी मुक्त भारत केवल स्वास्थ्य का लक्ष्य नहीं, बल्कि लोगों के सहयोग से चलने वाला राष्ट्रीय आंदोलन है, जिसमें राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

बिहार के सांसदों ने दोहराई प्रतिबद्धता

बैठक में उपस्थित बिहार के सांसदों ने कहा कि वे—

  • टीबी जागरूकता
  • गुणवत्तापूर्ण जांच सुविधाएँ
  • जमीनी स्तर पर मरीज-केंद्रित देखभाल

को मजबूत करने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने समुदाय स्तर पर अभियान को गति देने का आश्वासन भी दिया।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रस्तुत की भावी रणनीति

स्वास्थ्य सचिव पूजा सलिला श्रीवास्तव ने बैठक में भारत की नई टीबी रणनीति पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसमें शामिल हैं—

  • एआई-आधारित डायग्नोस्टिक्स का विस्तार
  • अत्यधिक संवेदनशील स्क्रीनिंग तकनीकों का उपयोग
  • मरीज सहायता योजनाओं का सुदृढ़ीकरण

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन डायरेक्टर अराधना पटनायक ने ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ के तहत हुए कार्यों और आगे की जरूरतों को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि बिहार में सांसदों की सक्रिय भूमिका अभियान को अत्यधिक मजबूत बनाएगी।

टीबी-मुक्त बिहार, टीबी-मुक्त भारत की दिशा में कदम

स्वास्थ्य मंत्रालय की इस पहल का उद्देश्य—

  • राजनीतिक इच्छाशक्ति को मजबूत करना
  • समुदाय को जोड़ना
  • मरीज केंद्रित सेवाओं का विस्तार
  • और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना

है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प ‘टीबी मुक्त भारत’ को साकार करने के लिए बिहार के सांसदों ने एक बार फिर अपने सहयोग की प्रतिबद्धता जताई।

यह बैठक टीबी उन्मूलन के राष्ट्रीय मिशन को मजबूत राजनीतिक समर्थन और जनता के सहयोग से आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई।

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