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भागलपुर | संवाददाता —विजयादशमी के शुभ अवसर पर भागलपुर के नाथनगर क्षेत्र में आस्था और परंपरा का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने हर किसी को भावविभोर कर दिया। करीब दो सौ साल पुरानी रामलीला और भरत मिलाप की परंपरा इस बार भी पूरे धूमधाम से निभाई गई।

शनिवार की रात कर्णगढ़ मैदान में आयोजित भव्य रामलीला मंचन में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। भगवान राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के जीवंत पात्रों ने अपने अभिनय से दर्शकों को ऐसा मंत्रमुग्ध किया कि तालियों की गूंज देर रात तक नहीं थमी।

रात्रि लगभग 10 बजे रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के विशालकाय पुतलों का दहन किया गया। जैसे ही रावण धधक उठा, पूरा मैदान “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। आसमान में फायरवर्क्स की चमक और भक्तों की जयघोष से माहौल दिव्य हो उठा।


भरत मिलाप में छलका भक्ति का सागर

रावण दहन के बाद रविवार सुबह मनसकामना नाथ चौक पर पारंपरिक भरत मिलाप का आयोजन हुआ। इस दौरान भगवान राम और भरत के मिलन का भावनात्मक दृश्य देखकर श्रद्धालु अश्रुपूरित हो उठे। मंच पर जब भरत ने राम के चरणों में गिरकर उन्हें अयोध्या लौटने की विनती की, तो पूरा माहौल भक्ति और भावनाओं से भर गया।

स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ आस-पास के गांवों से भी लोग परिवार समेत पहुंचे थे। महिलाओं ने आरती उतारी, बच्चों ने जयकारे लगाए और बुजुर्गों ने कहा — “ऐसी रामभक्ति शायद अब कहीं देखने को नहीं मिलती।”


प्रशासन और समिति की सख्त व्यवस्था

कार्यक्रम की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी पूरी तैयारी की थी। नाथनगर थाना पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवकों ने भीड़ को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि नाथनगर की यह परंपरा लगभग दो शताब्दियों पुरानी है और इसे अगली पीढ़ियों तक सहेजकर रखने का संकल्प लिया गया है।


भावनाओं से जुड़ी परंपरा

स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि यह रामलीला सिर्फ एक नाट्य मंचन नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और भाईचारे का उत्सव है। हर साल दशहरा के बाद भरत मिलाप का आयोजन यह संदेश देता है कि सच्ची जीत सदाचार और प्रेम की होती है


 

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