भागलपुर: भागलपुर के माननीय सांसद अजय कुमार मंडल ने 4 दिसंबर 2025 को लोकसभा में प्रश्न संख्या 692 के माध्यम से केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्री से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) की स्थापना से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया। यह प्रश्न विशेष रूप से उन जिलों से जुड़े मुद्दे पर केंद्रित था, जहाँ बड़ी जनजातीय आबादी होने के बावजूद अब तक EMRS विद्यालयों की स्थापना नहीं की गई है।
क्या कहा सांसद ने? क्यों उठाया गया यह मुद्दा
सांसद अजय कुमार मंडल ने लोकसभा में यह दर्शाया कि:
- भागलपुर सहित कई जिलों में जनजातीय आबादी मौजूद होने के बावजूद
- वहाँ EMRS की स्थापना नहीं हुई, जिससे जनजातीय छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हो रही है
- केंद्र सरकार से यह स्पष्ट जानना आवश्यक था कि आखिर कौन से जिले पात्र हैं और किन्हें स्वीकृति नहीं मिली
उनके इस प्रश्न का उद्देश्य बिहार के जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षणिक अवसरों को मजबूत करना है।
केंद्रीय मंत्री का जवाब: कौन-से जिले हुए पात्र, कौन हुए बाहर
केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्री ने सदन में विस्तृत उत्तर देते हुए बताया कि सरकार ने वर्ष 2018–19 के केंद्रीय बजट में EMRS के लिए स्पष्ट पात्रता मानक तय किए थे:
EMRS स्थापित करने के मानक (जनगणना 2011 के आधार पर)
- किसी क्षेत्र में 50% या उससे अधिक अनुसूचित जनजाति आबादी हो
- कुल जनजातीय जनसंख्या 20,000 या उससे अधिक हो
मंत्री ने स्पष्ट किया कि बिहार के कई जिलों में ये दोनों मानक पूरा नहीं होते, इसलिए वहाँ EMRS की स्वीकृति नहीं मिल सकी।
बिहार में जहाँ EMRS स्वीकृत हुए — सरकार ने सदन में बताया
केंद्र सरकार के अनुसार, बिहार में निम्नलिखित स्थानों पर EMRS स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई है:
✔ झाझा — जमुई जिला
✔ रामनगर — पश्चिम चंपारण जिला
✔ अधौरा — कैमूर जिला
ये जिले जनजातीय जनसंख्या संबंधी मापदंडों पर खरे उतरे, इसलिए यहाँ विद्यालय निर्माण की अनुमति दी गई।
भागलपुर, पूर्णिया, बांका और मुंगेर क्यों नहीं हुए पात्र?
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि:
- भागलपुर
- पूर्णिया
- बांका
- मुंगेर
इन जिलों के किसी भी प्रखंड में EMRS के लिए आवश्यक जनजातीय प्रतिशत और जनसंख्या मापदंड पूरे नहीं होते।
इसी कारण इन जिलों में फिलहाल EMRS की स्वीकृति संभव नहीं है।
सरकार ने आश्वासन दिया कि भविष्य में मानकों की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी, और यदि मापदंड पूर्ण हुए तो प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।
सांसद अजय मंडल का बयान: “जनजातीय छात्रों के हित में लड़ाई जारी रहेगी”
सांसद अजय कुमार मंडल ने मीडिया से कहा:
“भागलपुर एवं आसपास के जनजातीय बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना आवश्यक है। मैं इस मुद्दे को आगे भी मजबूती से उठाता रहूँगा, ताकि क्षेत्र के छात्रों को आधुनिक शिक्षा सुविधाएँ उपलब्ध हो सकें।”
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा के अभाव में जनजातीय समाज पिछड़ रहा है, और EMRS जैसे विद्यालय इस अंतर को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
क्या है EMRS? क्यों महत्वपूर्ण है यह मॉडल
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS):
- जनजातीय छात्रों के लिए पूरी तरह आवासीय
- आधुनिक शिक्षा, खेल, तकनीकी सुविधाओं से युक्त
- ग्रामीण व जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने का राष्ट्रीय कार्यक्रम
यह मॉडल जनजातीय समाज को मुख्यधारा में आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।


