बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि जदयू 85 सीटों पर सिमट गई। हालांकि मुख्यमंत्री पद जदयू के पास है और नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन इस बार सत्ता की असली कमान बीजेपी के हाथों में दिख रही है।
20 साल बाद नीतीश कुमार से गृह विभाग गया, सम्राट चौधरी बने गृह मंत्री
नई सरकार गठन के साथ ही सबसे बड़ा बदलाव गृह विभाग को लेकर देखने को मिला। दो दशक बाद पहली बार गृह विभाग सीएम नीतीश कुमार से छिनकर बीजेपी के पास चला गया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को गृह मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो BJP की बढ़ती शक्ति को स्पष्ट दर्शाता है।
अब स्पीकर भी बीजेपी के पास — प्रेम कुमार लगभग तय
बीजेपी अपने कोटे से प्रेम कुमार को विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) बनाने जा रही है। नौ बार के विधायक और अनुभवी नेता प्रेम कुमार का चुनाव लगभग तय माना जा रहा है। 1 दिसंबर को उनके नामांकन के साथ ही तस्वीर साफ हो गई थी। उम्मीद है कि आज मंगलवार को औपचारिक घोषणा हो जाएगी और वे सर्वसम्मति से स्पीकर चुने जाएंगे।
विधानसभा अध्यक्ष का संवैधानिक महत्व
संविधान के अनुच्छेद 178 के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव नई सरकार के गठन के तुरंत बाद किया जाता है।
स्पीकर की प्रमुख जिम्मेदारियां:
- सदन की कार्यवाही को सुचारू चलाना
- सदस्यों के अधिकारों की रक्षा
- नियमों का पालन सुनिश्चित करना
- विपक्ष के नेता की मान्यता तय करना
- जरूरत पड़ने पर सदन की गुप्त बैठक बुलाना
दलबदल कानून में स्पीकर की सबसे बड़ी शक्ति
स्पीकर के पास दलबदल कानून (1985) के तहत विशेष शक्तियां होती हैं। किसी विधायक को दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराने का अधिकार केवल स्पीकर के पास होता है। गठबंधन सरकारों में यह पद और भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि छोटी पार्टियों और विधायकों के टूटने का खतरा हमेशा बना रहता है।
सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में सीमित दखल रखता है। 1 जुलाई 2021 को तत्कालीन CJI एन.वी. रमणा ने कहा था कि स्पीकर के फैसलों की समयसीमा तय नहीं की जा सकती और कोर्ट की भूमिका सीमित है।
बीजेपी का मास्टर प्लान: क्यों महत्वपूर्ण है स्पीकर का पद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रेम कुमार को स्पीकर बनाना बीजेपी की एक सोची-समझी रणनीति है।
चुनाव परिणामों के बाद समीकरण ऐसे बने हैं कि नीतीश कुमार यदि चाहें तो महागठबंधन के साथ मिलकर नई सरकार भी बना सकते हैं
- जदयू — 85
- विपक्ष (महागठबंधन) — लगभग 41
- कुल — 126 (बहुमत 122 से अधिक)
यही कारण है कि बीजेपी अब सरकार की चाबी अपने हाथ में रखना चाहती है।
पहले गृह विभाग और अब स्पीकर पद लेकर बीजेपी किसी भी तरह की राजनीतिक अनिश्चितता का जोखिम नहीं उठाना चाहती।
विशेषज्ञों के अनुसार, नीतीश कुमार के राजनीतिक इतिहास को देखते हुए यह BJP के लिए सुरक्षा कवच की तरह है। यदि कभी पाला बदलने का संकेत मिलता है, तो स्पीकर के पास दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की शक्ति होगी, जिससे BJP तुरंत स्थिति संभाल सकती है।


