सांसद शांभवी चौधरी के दोनों हाथों पर लगी स्याही की फोटो वायरल, विपक्ष ने लगाया दोहरे मतदान का आरोप; पटना प्रशासन ने बताई पूरी सच्चाई

पटना/समस्तीपुर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग के बाद समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी चर्चा में आ गईं। मतदान के बाद उनकी एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें दोनों हाथों की उंगलियों पर स्याही लगी हुई नजर आई। इसके बाद विपक्ष ने उन पर दोहरे मतदान का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से कड़ी कार्रवाई की मांग की।

अब इस मामले में पटना जिला प्रशासन ने आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी कर स्थिति साफ कर दी है।

पटना प्रशासन का बयान — “गलती से दाहिने हाथ पर लग गई स्याही”

पटना प्रशासन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी करते हुए बताया कि—
मतदान केंद्र संख्या 61, संत पॉल्स प्राइमरी स्कूल, बुद्धा कॉलोनी (बांकीपुर विधानसभा-182) के पीठासीन पदाधिकारी से पूछताछ की गई है।
उन्होंने बताया कि—

“स्याही लगाने वाले मतदान कर्मी से गलती हो गई और भूलवश दाहिने हाथ की उंगली पर स्याही लगा दी गई।”

मतदान प्रक्रिया के दौरान पीठासीन पदाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद बाएं हाथ की उंगली पर भी स्याही लगाई गई, जैसा कि नियमों में निर्धारित है।

प्रशासन का दावा — सांसद ने केवल एक ही बार मतदान किया

पटना प्रशासन ने साफ कहा है कि—
सांसद शांभवी चौधरी ने केवल एक ही बार वोट डाला है।
मतदाता सूची में उनका क्रमांक 275 है, और मतदान उसी सूची में दर्ज नाम के आधार पर किया गया।

इसलिए, वायरल तस्वीर को लेकर “दोहरे मतदान” की बात तथ्यहीन और गलत है।

विपक्ष का हमला और सियासत गरम

तस्वीर जैसे ही वायरल हुई, राजद और कांग्रेस नेताओं ने कहा कि—

  • “दोनों हाथों पर स्याही लगना दोहरे मतदान का प्रमाण है।”
  • “चुनाव आयोग तुरंत कार्रवाई करे।”

सोशल मीडिया पर भी इस मामले ने खूब तूल पकड़ा। हालांकि, प्रशासनिक सफाई के बाद मामला शांत होता दिख रहा है।

क्या है ‘स्याही’ का नियम?

भारत में मतदान का नियम साफ है—

  • स्याही बाएं हाथ की तर्जनी पर लगाई जाती है
  • किसी भी भ्रम या त्रुटि को तुरंत पीठासीन अधिकारी द्वारा सुधारा जाता है
  • दोहरे मतदान की स्थिति में FIR और कठोर कानूनी कार्रवाई अनिवार्य होती है

लेकिन इस मामले में ऐसी कोई स्थिति नहीं पाई गई।

सांसद शांभवी चौधरी पर लगे दोहरे मतदान के आरोपों को
पटना प्रशासन ने पूरी तरह खारिज कर दिया है।
प्रशासन का कहना है कि यह सिर्फ मतदान कर्मियों की एक मानवीय भूल थी, जिसे तत्काल सुधार लिया गया।

अब जबकि जांच और स्पष्टीकरण सामने आ चुका है, यह मामला एक बार फिर चुनावी बयानबाज़ी का हिस्सा बनकर रह सकता है।

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