पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए में सीटों के बंटवारे के बाद जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बुधवार, 15 अक्टूबर को अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 57 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई है, जिनमें चार महिला उम्मीदवार शामिल हैं।
गायघाट से कोमल सिंह को टिकट, चर्चा तेज
जेडीयू की इस लिस्ट में सबसे ज्यादा चर्चा गायघाट सीट से उम्मीदवार बनाई गईं कोमल सिंह को लेकर हो रही है। कोमल, लोजपा (रामविलास) सांसद वीणा देवी की बेटी हैं और उनके पिता दिनेश सिंह जेडीयू से एमएलसी हैं। वर्ष 2020 में कोमल सिंह ने लोजपा के टिकट पर गायघाट से चुनाव लड़ा था और तीसरे स्थान पर रही थीं। उस वक्त आरजेडी के निरंजन राय ने जीत दर्ज की थी, जबकि जेडीयू के महेश्वर प्रसाद यादव दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार सीट जेडीयू के हिस्से में आने के बाद कोमल सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वे लोजपा (रामविलास) से चुनाव मैदान में उतरेंगी।
समस्तीपुर से फिर अश्वमेघ देवी को मौका
समस्तीपुर सीट से जेडीयू ने एक बार फिर अश्वमेघ देवी पर भरोसा जताया है। वर्ष 2020 में भी उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन आरजेडी के अख्तरुल इस्लाम शाहीन से हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में शाहीन को 68,507 वोट, जबकि अश्वमेघ देवी को 63,793 वोट मिले थे।
अश्वमेघ देवी जेडीयू से पूर्व सांसद भी रह चुकी हैं।
विभूतिपुर से रवीना कुशवाहा मैदान में
विभूतिपुर सीट से जेडीयू ने रवीना कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। वे राम बालक सिंह की पत्नी हैं, जो पहले जेडीयू से विधायक रह चुके हैं।वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में राम बालक सिंह इसी सीट से लड़े थे लेकिन सीपीएम के अजय कुमार से हार गए थे। इस बार पार्टी ने उन्हें रिप्लेस कर उनकी पत्नी को टिकट दिया है।
मधेपुरा से कविता कुमारी साहा पर बड़ा दांव
जेडीयू ने मधेपुरा सीट से बड़ा राजनीतिक फैसला लिया है।
पार्टी ने मौजूदा विधायक निखिल मंडल का टिकट काटते हुए कविता कुमारी साहा को प्रत्याशी बनाया है, जो वैश्य समाज से आती हैं।
यह पहली बार है जब किसी बड़ी पार्टी ने मधेपुरा से गैर-यादव उम्मीदवार को टिकट दिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह कदम “सामाजिक संतुलन” की रणनीति के तहत उठाया गया है ताकि पिछड़े वर्ग, दलितों और महिला मतदाताओं को साधा जा सके।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला मधेपुरा की परंपरागत यादव राजनीति को चुनौती देने वाला कदम साबित हो सकता है।
निष्कर्ष:
जेडीयू की यह पहली सूची न सिर्फ जातीय समीकरण बल्कि महिलाओं और सामाजिक विविधता के संतुलन को भी साधने की कोशिश दिखाती है। अब सबकी नजर पार्टी की दूसरी लिस्ट पर है, जिसमें बाकी सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया जाएगा।


