नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को न्यायिक सेवा में सीधी भर्ती से जुड़े एक अहम फैसले में स्पष्ट किया कि बार में सात साल की वकालत पूरी कर चुके न्यायिक अधिकारी अब जिला जज और अपर जिला जज के पद के लिए योग्य होंगे। कोर्ट ने यह भी तय किया कि जिला जज पद पर 25 फीसदी कोटा केवल बार उम्मीदवारों तक सीमित नहीं रहेगा।
देश के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने इस संबंध में सहमति वाले दो अलग-अलग फैसले पारित किए।
सीजेआई गवई ने कहा कि अधीनस्थ न्यायिक सेवा में भर्ती होने से पहले बार में सात साल का अनुभव रखने वाले अधिकारी सीधी भर्ती प्रक्रिया के तहत जिला जज/अपर जिला जज के पद पर नियुक्त होने के पात्र होंगे।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- जिला जज बनने की पात्रता: आवेदन की तिथि के अनुसार देखी जाएगी।
- न्यूनतम आयु सीमा: समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए जिला जज पद के लिए उम्मीदवार की आयु कम से कम 35 साल होनी चाहिए।
- सीधा कोटा: 25 फीसदी सीट केवल बार उम्मीदवारों के लिए आरक्षित नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न्यायिक सेवा में पारदर्शिता और समान अवसर बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे बार से जुड़े अनुभवी अधिकारी सीधे जिला स्तर पर न्यायिक पदों पर आ सकेंगे, जबकि अधीनस्थ न्यायिक सेवा के उम्मीदवारों के लिए भी समान अवसर सुनिश्चित होंगे।


