पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। कुल 51 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के साथ ही पार्टी के भीतर विवाद शुरू हो गया है।
सबसे बड़ा विवाद आस्थावां सीट से टिकट दिए जाने को लेकर है, जहां से आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। लिस्ट जारी होने के कुछ घंटे बाद ही पार्टी कार्यालय में नाराज कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और आरसीपी सिंह के खिलाफ नारेबाजी की।
सूत्रों के मुताबिक, कार्यकर्ताओं का कहना है कि “अब भरोसा उठ गया है”, और वे पार्टी के फैसले से बेहद नाराज हैं।
सूची जारी, लेकिन पीके नहीं रहे मौजूद
जन सुराज की यह पहली लिस्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती और आरसीपी सिंह की मौजूदगी में जारी की गई।
हालांकि, प्रशांत किशोर (PK) खुद इस दौरान उपस्थित नहीं थे।
उदय सिंह ने बताया कि 11 अक्टूबर से प्रशांत किशोर राघोपुर से अपना जनसंपर्क अभियान शुरू करेंगे, लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं है कि वे वहीं से चुनाव लड़ेंगे या नहीं।
उम्मीदवारों की सामाजिक संरचना
पार्टी की ओर से जारी 51 उम्मीदवारों में —
- 7 पिछड़ा वर्ग (OBC)
- 17 अति पिछड़ा वर्ग (EBC)
- 9 मुस्लिम
- 1 किन्नर
- और शेष सामान्य वर्ग से उम्मीदवार शामिल हैं।
उदय सिंह ने बताया कि अगली सूची एक-दो दिन में जारी की जाएगी।
कौन हैं आरसीपी सिंह?
आरसीपी सिंह 1984 बैच के IAS अधिकारी रहे हैं और कभी नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद सहयोगी माने जाते थे।
नीतीश कुमार ने उन्हें प्रमुख सचिव बनाया था और बाद में राजनीति में आने के बाद जेडीयू में नंबर दो की भूमिका दी थी।
साल 2010 में उन्होंने आईएएस सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा और जेडीयू में शामिल हुए।
उन्हें बाद में जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया, लेकिन 2021 में नीतीश कुमार की इच्छा के विरुद्ध वे केंद्र सरकार में मंत्री बने, जिससे दोनों नेताओं के रिश्ते बिगड़ गए।
2022 में राज्यसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।
इसके बाद आरसीपी सिंह ने जेडीयू छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए, लेकिन वहां भी हाशिए पर चले गए।
अंततः उन्होंने अपनी पार्टी बनाई, जिसे बाद में जन सुराज के साथ विलय कर दिया।
इस तरह कभी नीतीश कुमार के सबसे करीबी रहे प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह अब एक मंच पर हैं।
विवाद का कारण
आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह को जन सुराज टिकट दिए जाने को लेकर पार्टी के कार्यकर्ता इसे वंशवाद और पक्षपात का उदाहरण बता रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि प्रशांत किशोर इस विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं, क्योंकि जन सुराज अब तक “नई राजनीति और पारदर्शिता” का दावा करती आई है।


