आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाओं से बिहार में आई कृषि क्रांति

बीते दो दशकों में फसलों के उत्पादन और किसानों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी

पटना, 5 अक्टूबर।बिहार ने पिछले दो दशकों में कृषि क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है। जहां कभी खेती पारंपरिक तौर-तरीकों पर निर्भर थी, वहीं अब यह राज्य आधुनिक तकनीक और योजनाबद्ध सरकारी नीतियों की बदौलत कृषि क्रांति का केंद्र बन गया है। किसानों को सशक्त बनाने और उत्पादन बढ़ाने की दिशा में सरकार की लगातार कोशिशों से राज्य की कृषि प्रणाली पूरी तरह बदल गई है।

डिजिटल कृषि निदेशालय – तकनीक से खेत तक पारदर्शिता

राज्य सरकार द्वारा हाल ही में गठित डिजिटल कृषि निदेशालय इस परिवर्तन की सबसे बड़ी मिसाल है। यह अपने तरह का देश का पहला डिजिटल कृषि निदेशालय है, जिसके जरिए राज्य में कृषि योजनाओं का लाभ रियल-टाइम में किसानों तक पहुंचेगा।
अब ड्रोन तकनीक, उपग्रह आधारित डेटा, डिजिटल क्रॉप सर्वे, मोबाइल एप्स और ई-गवर्नेंस टूल्स की मदद से खेती के हर चरण पर वैज्ञानिक और सटीक जानकारी किसानों तक पहुंचाई जा रही है।

कृषि रोड मैप से बदल गई खेती की तस्वीर

बिहार में लागू कृषि रोड मैप ने खेती की दिशा और दशा दोनों बदल दी है। सरकार ने किसानों को उन्नत किस्म के बीज और तकनीक उपलब्ध कराने पर लगातार जोर दिया।
इसका सीधा असर उत्पादन पर देखने को मिला है—

  • मक्का उत्पादन में 293.36% की वृद्धि — वर्ष 2004-05 में 14.91 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 58.65 लाख मीट्रिक टन।
  • धान उत्पादन में 262.78% वृद्धि
  • गेहूं उत्पादन में 122.84% की बढ़ोतरी

कुल मिलाकर राज्य का खाद्यान्न उत्पादन 192.37% बढ़ा है — 2004-05 के 79.06 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर अब 231.15 लाख मीट्रिक टन हो गया है। वहीं प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में 179.06% की वृद्धि दर्ज की गई है।

मक्का में शत-प्रतिशत बीज प्रतिस्थापन

मक्का की खेती में 100% बीज प्रतिस्थापन का लक्ष्य बिहार ने पूरा कर लिया है। उन्नत किस्म के बीजों ने किसानों की आय में सीधा इजाफा किया है और मक्का अब राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गया है।

कृषि यंत्रीकरण को मिला जोर, छोटे किसानों को सहूलियत

कृषि में मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर 40% से 80% तक अनुदान की व्यवस्था की है। अब तक 28 लाख से अधिक आधुनिक कृषि यंत्र किसानों को वितरित किए जा चुके हैं।
इसके अलावा कस्टम हायरिंग सेंटरों की स्थापना से छोटे किसानों को किराए पर यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे उनकी लागत कम हुई है और उत्पादकता में इजाफा हुआ है।

बिहार का लक्ष्य – आत्मनिर्भर किसान, आधुनिक कृषि

सरकार का लक्ष्य केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, वैज्ञानिक सलाह और समय पर योजनाओं के क्रियान्वयन से बिहार आज कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर मॉडल राज्य के रूप में उभर रहा है।


 

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