पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान की प्रतीक्षा में राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में भाजपा ने दो दिवसीय विशेष बैठक बुलाई है, जिसमें सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन पर चर्चा होगी।
बायोडाटों की भारी भीड़
पार्टी ने अपने सभी जिलों और इलाकों से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले नेताओं का बायोडाटा मांगा। अब तक पाँच हजार से अधिक आवेदक भाजपा से टिकट पाने के लिए आगे आए हैं। इनमें युवाओं की संख्या सबसे अधिक है, जिनकी उम्र 35 से 45 वर्ष के बीच है।
आवेदकों में सक्रिय कार्यकर्ता, पूर्व विधायक, ग्राम पंचायत और नगर निकाय प्रतिनिधि तथा सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। विश्लेषकों का मानना है कि नए चेहरे जनता में उत्साह और ऊर्जा पैदा कर सकते हैं।
वरिष्ठ नेताओं की दावेदारी और चुनौती
वहीं कई वरिष्ठ नेता, जिनकी उम्र 70 वर्ष के आसपास है, अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट मांग रहे हैं। कुछ नेताओं ने चेतावनी भी दी है कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे दूसरी पार्टियों से चुनाव लड़ सकते हैं।
पार्टी पदाधिकारी के अनुसार, पटना जिले के कुम्हरार और दानापुर विधानसभा क्षेत्रों से सबसे ज्यादा बायोडाटा आए हैं। यह सीटें इस बार सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा वाली मानी जा रही हैं।
नए और पुराने चेहरों के बीच संतुलन जरूरी
वर्ष 2020 में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 80 विधायक जीतकर आए थे। इस बार एनडीए में पांच दल शामिल हैं – भाजपा, जदयू, लोजपा (रामविलास), हम और रालोमो। ऐसे में सीटों का वितरण और उम्मीदवार चयन पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कई मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है, खासकर वे जो लंबे समय से सीट पर हैं और उम्रदराज हो चुके हैं। इसलिए नए दावेदार सक्रिय होकर बायोडाटा जमा कर रहे हैं और वरिष्ठ नेताओं से समर्थन भी मांग रहे हैं।
भाजपा में टिकट की यह जंग उफान पर है। अब सबकी निगाहें पार्टी की आगामी बैठक और एनडीए के सीट बंटवारे पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी कैसे पुराने और नए चेहरों के बीच संतुलन बनाती है और चुनावी मैदान में उतरती है।


