भागलपुर। शहर के सरकारी कार्यालयों की दीवारें अब सिर्फ ईंट-पत्थर की नहीं, बल्कि कला और संस्कृति का अनूठा संगम बन गई हैं। इन दीवारों को पारंपरिक मंजूषा पेंटिंग से सजाया जा रहा है, जो न केवल भागलपुर की पहचान को संजो रही हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जीव-जंतुओं की रक्षा का संदेश भी दे रही हैं।
वृक्षों और डॉल्फिन पर विशेष फोकस
कलाकारों ने पेंटिंग के माध्यम से दिखाया है कि किस तरह आज के दौर में अंधाधुंध वृक्षों की कटाई हो रही है, जिससे पर्यावरण और वन्यजीव दोनों प्रभावित हो रहे हैं। इन चित्रों में खास तौर पर गंगा डॉल्फिन को उकेरा गया है, क्योंकि भागलपुर एशिया का पहला डॉल्फिन अभ्यारण होने के कारण विशेष पहचान रखता है।
तीन विशेष रंगों का प्रयोग
पारंपरिक शैली को बनाए रखते हुए पेंटिंग में तीन तरह के खास रंगों का इस्तेमाल किया गया है। दीवारों पर उकेरे गए ये चित्र जहां लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं, वहीं अपनी खूबसूरती से आने-जाने वालों का ध्यान भी आकर्षित कर रहे हैं।
स्थानीय संस्कृति का संवर्धन
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह की पहल से न केवल मंजूषा कला को नई पहचान मिलेगी बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहर दोनों के महत्व का बोध होगा।


