भागलपुर, 6 अगस्त | भागलपुर जिले में गंगा नदी ने एक बार फिर विकराल रूप धारण कर लिया है। मुख्य नदी के साथ-साथ इसकी सहायक नदियों में भी तेज उफान के कारण ग्रामीण इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। सबसे अधिक असर सुल्तानगंज और शाहकुंड प्रखंड के गांवों में देखा जा रहा है, जहाँ खेत-खलिहान पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं।
मीरहटी, कटहरा और खानपुर पंचायत सबसे ज्यादा प्रभावित
गंगा के बढ़ते जलस्तर का सबसे अधिक असर मीरहटी, कटहरा और खानपुर पंचायत में देखा जा रहा है। इन क्षेत्रों में धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है।
किसानों का कहना है कि उन्होंने ब्याज पर कर्ज लेकर बीज, खाद और मजदूरी का इंतजाम किया था, लेकिन सारे खेतों में पानी भर जाने से सारी मेहनत बर्बाद हो गई।
किसान बोले – बर्बादी के बाद भी कोई मदद नहीं
क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि बाढ़ का पानी गांवों और खेतों में घुस आया है, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस राहत नहीं दी गई है।
खानपुर के किसान सुरेश मंडल कहते हैं,
“हमने उम्मीद से धान की बुआई की थी। बारिश भी ठीक हुई थी। लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया। कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया है।”
फसल के साथ भविष्य भी डूबता नजर आ रहा
कई किसानों ने कहा कि यह सिर्फ खेतों का नुकसान नहीं है, बल्कि उनके पूरे साल की जीविका पर संकट है।
महिलाएं भी खेतों की हालत देखकर रोने लगीं, क्योंकि आने वाले दिनों में उनके परिवार के सामने भोजन और रोज़ी-रोटी की समस्या खड़ी हो सकती है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
ग्रामीणों ने प्रशासन पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि
“जब बाढ़ आती है, तब सिर्फ सर्वे करने की बात होती है, लेकिन मुआवजा और सहायता की प्रक्रिया कछुआ चाल से भी धीमी होती है।”
अब प्रभावित गांवों के लोग तत्काल राहत शिविर, चारा, दवा और आर्थिक सहायता की मांग कर रहे हैं।
सुल्तानगंज और शाहकुंड के ग्रामीण इलाकों में गंगा और उसकी सहायक नदियों के उफान से बनी स्थिति चिंताजनक होती जा रही है।
यदि प्रशासन शीघ्र हस्तक्षेप नहीं करता है, तो यह कृषि संकट एक मानवीय संकट में बदल सकता है।
सरकार और जिला प्रशासन से किसानों की अपील है कि वे जल्द से जल्द सर्वेक्षण कराकर मुआवजे की प्रक्रिया शुरू करें और बाढ़ राहत सामग्री गांव-गांव तक पहुंचाएं।


