वाशिंगटन, 4 अगस्त 2025 (एजेंसी): भारतीय मूल की अमेरिकी वकील मथुरा श्रीधरन को ओहियो राज्य की 12वीं सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति को जहां कई लोग प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए गर्व का विषय मान रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर कुछ नस्लवादी ट्रोल मथुरा की भारतीय पहचान और बिंदी को निशाना बना रहे हैं।
ऐतिहासिक नियुक्ति पर बेतुकी आलोचना
ओहियो के अटॉर्नी जनरल डेव योस्ट ने गुरुवार को श्रीधरन की नियुक्ति की घोषणा की थी। लेकिन इसके तुरंत बाद ही कुछ असहिष्णु सोशल मीडिया यूजर्स ने मथुरा की बिंदी और सांस्कृतिक विरासत को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं।
एक यूजर ने लिखा, “इस पद के लिए कोई ‘असली अमेरिकी’ क्यों नहीं चुना गया?” वहीं एक अन्य यूजर ने बिंदी पर कटाक्ष करते हुए लिखा, “बिंदी तो साफ दिख रही है, ये कैसे अमेरिकी हो सकती हैं?”
डेव योस्ट ने किया ट्रोल्स को करारा जवाब
ट्रोलिंग की बढ़ती घटनाओं के बीच ओहियो के अटॉर्नी जनरल डेव योस्ट मथुरा के समर्थन में सामने आए। उन्होंने साफ कहा,
“मथुरा श्रीधरन एक योग्य अमेरिकी नागरिक हैं। उनकी बौद्धिक क्षमता, संवैधानिक समझ और पेशेवर योग्यता इस पद के लिए उपयुक्त है। किसी की संस्कृति या धार्मिक प्रतीक उसे कम अमेरिकी नहीं बनाते।”
ट्रोलिंग के खिलाफ उठी आवाज़
मथुरा श्रीधरन की नियुक्ति को अमेरिका में संस्कृति और विविधता की स्वीकार्यता का प्रतीक माना जा रहा था, लेकिन ट्रोलिंग ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि संकीर्ण सोच और नस्लवाद अब भी अमेरिकी समाज में जड़ें जमाए हुए हैं।
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने इस पर नाराज़गी जताई है और सोशल मीडिया पर #IStandWithMathura हैशटैग के साथ एकजुटता अभियान भी शुरू किया गया है।
मथुरा का सफर: एक प्रेरणा
मथुरा श्रीधरन ने अमेरिका में रहते हुए कानूनी क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कई संविधानिक मामलों में सरकार का पक्ष प्रभावी रूप से रखा है और न्यायपालिका में विविधता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक आधुनिक लोकतंत्र में किसी व्यक्ति की योग्यता, निष्ठा और कार्यक्षमता को उसकी संस्कृति या पहनावे से आंकना न केवल अनुचित, बल्कि खतरनाक प्रवृत्ति है। मथुरा श्रीधरन की बिंदी सिर्फ एक सांस्कृतिक प्रतीक नहीं, बल्कि गर्व और आत्मसम्मान की पहचान है।


