सीमा सुरक्षा, विकास और आवागमन को मिलेगा नया आयाम
पटना, 13 मई 2025:भारत-नेपाल सीमा से सटे बिहार के सात जिलों को जोड़ने वाली इंडो-नेपाल बॉर्डर सड़क परियोजना अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने जानकारी दी कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना का 80% से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है और इसे दिसंबर 2025 तक आम जनता को समर्पित करने का लक्ष्य रखा गया है।
450 किमी से अधिक निर्माण पूर्ण, 554 किमी है कुल सीमा
बिहार में इस सड़क की कुल लंबाई 554 किलोमीटर है, जिसमें से 450 किमी से अधिक सड़क बन चुकी है। यह मार्ग पश्चिम चंपारण के मदनपुर से शुरू होकर किशनगंज के गलगलिया होते हुए सिलीगुड़ी तक जाएगा। परियोजना की कुल लागत ₹2486.22 करोड़ है, जबकि भूमि अधिग्रहण और 131 पुल/पुलियों के निर्माण हेतु राज्य सरकार ने ₹3300 करोड़ अतिरिक्त व्यय किया है।
कई जिलों को जोड़ेगा एक नया संपर्क मार्ग
यह सड़क पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिलों को आपस में जोड़ेगी। इसके निर्माण से लाखों लोगों को व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि गतिविधियों के लिए बेहतर, सुरक्षित और सीधा संपर्क मार्ग मिलेगा।
2010 में हुई थी योजना की शुरुआत
इस परियोजना की शुरुआत 2010 में की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत-नेपाल सीमा पर बीएसएफ की चौकियों को सड़क मार्ग से जोड़ना और अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण सुनिश्चित करना था। भारत-नेपाल की कुल 729 किमी सीमा में से बिहार की 554 किमी सीमा इस परियोजना के अंतर्गत आती है।
सुरक्षा और विकास – दोनों को देगा बढ़ावा
मंत्री नितिन नवीन ने कहा,
“यह सड़क न केवल सीमा सुरक्षा बल की त्वरित पहुंच सुनिश्चित करेगी, बल्कि सीमावर्ती गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह मार्ग अवैध घुसपैठ, तस्करी और सीमा पार अपराधों पर लगाम लगाने का प्रभावी माध्यम बनेगा।”